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रिटायरमेंट आयु बढ़ाने के विरोध में 175 डॉक्टरों ने हस्ताक्षर किए

पीजीआइ फैकल्टी फोरम ने रा'यपाल और मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की, राजयपाल ने अगले हफ्ते में मिलने का समय दिया

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 May 2018 10:45 AM (IST)Updated: Sun, 06 May 2018 10:45 AM (IST)
रिटायरमेंट आयु बढ़ाने के विरोध में 175 डॉक्टरों ने हस्ताक्षर किए
रिटायरमेंट आयु बढ़ाने के विरोध में 175 डॉक्टरों ने हस्ताक्षर किए

लखनऊ (जागरण संवाददाता)। डाक्टरों की रिटायरमेंट आयु 65 से 70 करने के प्रस्ताव का पीजीआइ और केजीएमयू में भारी विरोध शुरू हो गया है। पीजीआइ फैकल्टी फोरम ने इसके विरोध में 210 में से 175 डॉक्टरों का समर्थन जुटाया है। हस्ताक्षर अभियान में सभी डॉक्टरों ने सरकार द्वारा आयु बढ़ाने का विरोध किया। साथ ही फैकल्टी फोरम ने इसकी बकायदा मुख्यमंत्री जन सुनवाई पोर्टल और राज्यपाल के यहा शिकायत दर्ज कराई है। पीजीआइ और केजीएमयू के डॉक्टरों का एक प्रतिनिधि मण्डल अगले हफ्ते राज्यपाल राम नाईक से मिलेगा।

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पीजीआइ फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार तथा सचिव डॉ.एमएस अंसारी के नेतृत्व में आयु बढ़ाने के विरोध में चलाए गए हस्ताक्षर अभियान में संस्थान के 175 डॉक्टरों ने लिखित तौर इसका विरोध किया है। इन डॉक्टरों का कहना है कि महज आठ डॉक्टरों के फायदे के लिए संस्थान को पाच वर्ष तक नए अनुभवी युवा डॉक्टर नहीं मिलेंगे। अगर सरकार इन डॉक्टरों की सेवाएं लेनी चाहती है कि प्रदेश के कई संस्थान और मेडिकल कालेज हैं जहा पर विशेषज्ञों की आवश्यकता है। इन्हें संविदा पर तैनात कर इनकी सेवाएं ले सकती है। फैकल्टी फोरम के प्रतिनिधि मंडल को अगले हफ्ते राज्यपाल से मिलने का समय मिल गया है।

तीन बार उम्र बढ़ने का कोई फायदा नही मिला डॉ. एमएस अंसारी बताते हैं कि डाक्टरों की रिटायरमेंट आयु पूर्व में तीन बार बढ़ाई जा चुकी है। एक बार 58 से 60 हुई, फिर 60 से 62 वर्ष उम्र की गई। इसके बाद 62 से 65 वर्ष हुई, लेकिन संस्थानों को इसका कोई फायदा नही मिला। बल्कि नए डॉक्टरों का हक मारा गया। यही वजह है कि योग्य और प्रतिभाशाली डॉक्टर मजबूरी में कारपोरेट अस्पतालों में चले गए। ऐसे में रिटायरमेंट आयु बढ़ाना सही कदम नहीं है।

80 से अधिक डॉक्टर पीजीआइ छोड़ गए

पीजीआइ में बीते सालों में 80 से अधिक डाक्टर संस्थान छोड़ कर जा चुके हैं। यदि सरकार 65 से 70 वर्ष रिटायरमेंट आयु करने का फैसला करती है तो संस्थान से दर्जनभर से ज्यादा डॉक्टर तुरंत संस्थान छोड़कर कारपोरेट अस्पताल या खुद की प्रैक्टिस करने का निर्णय ले सकते हैं। फैकल्टी फोरम की बैठक में इस मुद्दे पर कई डॉक्टरों ने सहमति जताई। संस्थान छोड़ने वाले डॉक्टरों में डॉ. विजय खेर, डॉ. प्रदीप अरोड़ा, डॉ. संजीव गुलाटी, डॉ. डीके अग्रवाल, डॉ. अजय प्रकाश शर्मा, डॉ. मुफ्फजल, डॉ. आलोक कुमार के अलावा डॉ.अनि़ल मंधानी तथा डॉ. सौरभ वशिष्ठ पीजीआइ छोड़ कर चले गए।

संविदा पर तैनाती देकर इनकी सेवायें लें

केजीएमयू के टीचर एसोसिएशन के सचिव डॉॅ. संतोष कुमार बताते हैं कि 65 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद सरकार चाहे तो इन्हें संविदा पर तैनात कर इनकी सेवाएं ले सकती है। ऐसे सेवानिवृत्त डाक्टरों को प्रदेश के जिन संस्थानों और अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी है वहां इन्हें संविदा पर नियुक्ति देकर इनका फायदा ले सकती है। मरीजों की सेवा के लिए ऐसे डॉक्टरों को संस्थान में जमे रहने की क्या जरूरत है। इनके जाने से युवा डाक्टरों को फायदा मिलेगा।


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