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शराब छुड़वाने वाली दवा से कमजोर हो रही हड्डियां

- सीडीआरआइ वैज्ञानिकों ने किया शोध जागरण संवाददाता, लखनऊ शराब लिवर ही नहीं खराब कर रही है यह हड

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 07:45 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jul 2017 07:45 PM (IST)
शराब छुड़वाने वाली दवा से कमजोर हो रही हड्डियां
शराब छुड़वाने वाली दवा से कमजोर हो रही हड्डियां

- सीडीआरआइ वैज्ञानिकों ने किया शोध

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जागरण संवाददाता, लखनऊ

शराब लिवर ही नहीं खराब कर रही है यह हड्डियों को भी कमजोर कर रही है। दरअसल भारत में शराब के आदी लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 1980 में अल्कोहल का सेवन करने वालों की औसत आयु 28 साल थी जो वर्ष 2007 में 17 वर्ष हो गई है। वर्तमान में 30 फीसद भारतीय शराब का सेवन कर रहे हैं। इनमें ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो शराब के इस कदर लती हो चुके हैं। लत छुड़वाने के लिए डॉक्टर जिस 'डाइसल्फीराम' नामक दवा का सहारा लेते हैं उससे हड्डियां कमजोर हो रही हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक लगभग 30 फीसद भारतीय शराब का सेवन करते हैं उनमें से 4-13 फीसद लोग ऐसे हैं जो रोज शराब का सेवन करते हैं। इनमें से 50 फीसद लोग खतरनाक पियक्कड़ों की श्रेणी में आते हैं। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि शराब की लत छुड़वाने के लिए चिकित्सकों द्वारा दी जाने वाली डाइसल्फीराम दवा न केवल हड्डियों की गुणवत्ता को खराब करता है बल्किफ्रेक्चर का भी कारण बनती है। शोधकर्ताओं ने शोध द्वारा प्रमाणित किया है कि यह दवा जिस मात्रा में मानव को दी जाती है यदि उसी मात्रा में चूहों को दी जाए तो हड्डियों में तीव्र गति से क्षरण होता है। यहां तक कि फ्रेक्चर को ठीक करने की प्राकृतिक क्षमता अत्यधिक कम हो जाती है। दरअसल डाइसल्फिरम हड्डी के निर्माण करने वाली ऑस्टियोब्लास्ट कोशिकाओं में एल्डिहाइड डिहाइड्रोजनेज नामक एंजाइम को दबाने का मुख्य कारण बनता है जिससे ये कोशिकाएं जल्दी नष्ट हो जाती हैं। यह शोध अंतरराष्ट्रीय जरनल टॉक्सीकोलॉजिकल साइंसेस में हाल में प्रकाशित हुआ है।

एम्स के साथ होगा आगे शोध

वैज्ञानिकों के अनुसार प्री क्लीनिकल परीक्षणोंसे प्राप्त निष्कषरें की प्रासंगिकता को देखते हुए दिल्ली एम्स के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (एनडीडीटीसी) के साथ आगे शोध किया जाएगा। शोध के लिए भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग से वित्तीय सहायता दी गई है। इस सेंटर में शराब से मुक्ति के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

इन्होंने किया शोध

डॉ नेबेद्य चट्टोपाध्याय के नेतृत्व में मोनिका मित्तल, कायनात खान, सुभाशीष पाल,कोणिका पोरवाल, श्याम सुंदर पाल, तरुण कुमार बरभूयन, खेमराज बघेल, तारा रावत, साब्यासाची सान्याल, स्मृति भदौरिया और वीएल शर्मा आदि।


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