लिवर ही नहीं ब्रेन के लिए भी घातक है हेपेटाइटिस
लखनऊ : हेपेटाइटिस वायरस लिवर (यकृत) ही नहीं ब्रेन (मस्तिष्क) के लिए भी घातक है। कारण, लिवर की क्षम
लखनऊ :
हेपेटाइटिस वायरस लिवर (यकृत) ही नहीं ब्रेन (मस्तिष्क) के लिए भी घातक है। कारण, लिवर की क्षमता प्रभावित होने पर अमोनिया की मात्रा शरीर में अधिक हो जाती है। ऐसे में ब्लड के जरिए ब्रेन में पहुंची अमोनिया नुकसान पहुंचाने लगती है। स्थिति यह हो जाती है कि मरीज कोमा में पहुंच जाता है।
यूरिया में नहीं हो पाता कन्वर्ट
लोहिया संस्थान के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्टडॉ. प्रशांत कुमार के मुताबिक व्यक्ति के लिए सबसे घातक हेपेटाइटिस बी व सी है। समय पर इलाज न मिलने से ये वायरस लिवर को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में लिवर की कार्य क्षमता प्रभावित होने पर रक्त में मौजूद अमोनिया यूरिया में कन्वर्ट नहीं हो पाता। लिहाजा शरीर में अमोनिया की मात्रा अधिक होने पर वह रक्त के जरिए ब्रेन तक पहुंच जाती है। यह स्थिति व्यक्ति को कोमा में पहुंचा देती है।
53 फीसद को लिवर कैंसर
लोहिया अस्पताल के डॉ. संदीप चौधरी के मुताबिक हेपेटाइटिस-बी व सी से प्रभावित लोग बीमारी के बारे में देर से जान पाते हैं। ऐसे में वायरस लिवर को काफी क्षतिग्रस्त कर देता है। यहां तक कि व्यक्ति को लिवर कैंसर भी हो जाता है जो कि जानलेवा हो जाता है। हेपेटाइटिस बी से पीड़ित 53 फीसद लोग आखिरी दौर तक लिवर कैंसर की चपेट में आ जाते हैं।
30 फीसद को लिवर सिरोसिस
डॉ. संदीप के मुताबिक हेपेटाइटिस-बी सबसे अधिक खतरनाक है। इससे पीड़ित मरीजों में कुल 30 फीसद लिवर सिरोसिस का शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज का लिवर फेल हो जाता है और उसे बचा पाना मुश्किल हो जाता है।
नुकसानदायक है शराब
डॉ. संदीप ने बताया कि एल्कोहॉलिक हेपेटाइटिस भी बेहद खतरनाक है। यदि व्यक्ति रोजाना 40 से 80 ग्राम प्रतिदिन शराब आठ से दस वर्ष तक पीता है, तो लिवर खराब हो सकता है।
रखा 2030 का लक्ष्य
डॉ. प्रशांत कुमार ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तेजी से बढ़ते हेपेटाइटिस वायरस पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि संगठन ने 2030 तक विश्व को हेपेटाइटिस से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है।
हेपेटाइटिस के कारण
हेपेटाइटिस बी व सी असुरक्षित यौन संबंध बनाने, दूसरों का टूथ ब्रश का इस्तेमाल करने, प्रयोग की हुई ब्लेड से शेविंग करने से, प्रयोग की हुई सी¨रज लगवाने से व संक्रमित चिकित्सीय उपकरणों का इस्तेमाल करने पर पनपता है। इसके अलावा संक्रमित माता द्वारा उसके शिशु को भी हो सकता है। वहीं हेपेटाइटिस ए व ई दूषित पानी व खाद्य पदार्थो के सेवन से शरीर में पनपता है।
यह है भ्रांति
हेपेटाइटिस वायरस किसी से हाथ मिलाने से, कफ से, छींकने से अथवा एक ही बाथरूम का इस्तेमाल करने से नहीं फैलता है।
बीमारी से बचाव
हेपेटाइटिस-बी से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, लेकिन हेपेटाइटिस-सी के लिए वैक्सीन अभी उपलब्ध नहीं है। बी के लिए शून्य-एक व छह माह पर वैक्सीन लगवाई जाती है।
लक्षण
-अधिक उल्टी होना, कमजोरी आना, उल्टी में रक्त आना, काले रंग का मल त्यागना, व्यवहार में बदलाव आना, बेहोशी आना, शरीर में सूजन, आंख पीली होना, हाथ पीले होना, शरीर पर पीलापन छाना आदि।
हेपेटाइटिस का प्रकोप
-विश्व भर में लगभग 50 करोड़ व्यक्ति हेपेटाइटिस-बी व सी से ग्रसित
-इसमें लगभग 24 करोड़ व्यक्ति हेपेटाइटिस-बी का शिकार हैं
- प्रति वर्ष 14 लाख व्यक्ति हेपेटाइटिस-ए से होते हैं प्रभावित
-प्रत्येक वर्ष लगभग 2 करोड़ व्यक्ति हेपेटाइटिस-ई से होते हैं प्रभावित
-विश्व में हर वर्ष लगभग 10 लाख लोगों की हेपेटाइटिस के कारण मौत हो जाती है
-देश में 96,000 लोगों की हेपेटाइटिस से मौत
-राज्य में हेपेटाइटिस-बी के लगभग 80 लाख व हेपेटाइटिस-सी के लगभग 25 लाख हैं मरीज