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    दुनिया के लिए दहशत भारत का संस्कार नहीं : राजनाथ सिंह

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 22 Feb 2016 08:45 PM (IST)

    देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह का मानना है कि भारत अपनी सारी ताकत का प्रयोग जनहित में ही करेगा। राजनाथ सिंह आज गोरखपुर में पंडित दीनदयाल विश्वविद्यालय के 34वें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस समारोह की अध्यक्ष राज्यपाल राम नाईक ने की।

    लखनऊ। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया के लिए भारत कभी दहशत नहीं बन सकता क्योंकि उसका ऐसा चरित्र व संस्कार ही नहीं है। भारत को फिर विश्व गुरु के पद पर आसीन करने का समय आ गया है। इसके लिए खासतौर से युवाओं को संकल्प लेना होगा। विश्व गुरु वही हो सकता है जो धनवान, बलवान और ज्ञानवान के साथ चरित्रवान-संस्कारवान होगा। राम और रावण इसके उदाहरण हैं। इसलिए जरूरी है कि हर विद्यार्थी चरित्रवान व संस्कारवान भी बने। भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए यहां सभी आधारभूत जरूरतें विद्यमान हैं।

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    गृह मंत्री आज दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 34वें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। संबोधन की शुरुआत दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन से करते हुए उन्होंने कहा कि विद्यार्थी डिग्री हासिल करने के बाद सिर्फ करिअर अथवा नौकरी तक ही खुद को सीमित न रखें, सृजनात्मकता के प्रतीक बनें। समाज व राष्ट्र के लिए निरंतर सोचते रहने वाला बनें। जीवन की सार्थकता तब तक नहीं है जब तक राष्ट्र निर्माण में हम कुछ योगदान नहीं करते। यह समझना होगा कि धनवान, बलवान व ज्ञानवान होने के बाद भी रावण की पूजा नहीं होती है। पूजा चरित्र के धनी मर्यादा पुरुषोत्तम राम की होती है। युवाओं को सृजनात्मकता व विध्वंसात्मकता की सोच में फर्क समझाते हुए उन्होंने कहा कि यह सोच शिक्षा ग्रहण से शुरू होती है और इंफोसिस के युवा सृजनात्मक क्षमता के प्रतीक हैं जबकि अलकायदा अथवा अन्य आतंंकवादी संगठन विध्वंसात्मक क्षमता के प्रतीक हैं। उन्होंने गुरु गोरक्षनाथ व नाथ संप्रदाय के अन्य गुरुओं को भी स्मरण किया और संत रविदास की जयंती पर शुभकामनाएं दीं। इससे पहले विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने अतिथियों के स्वागत के साथ विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की।

    नकल रोकना चुनौती बनाएं कुलपति : राज्यपाल

    कुलाधिपति व राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि खुशी इस बात की है कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शिक्षण सत्र नियमित हो गया है। अब चुनौती नकलविहीन परीक्षा कराने की है। कुलपतियों को इस चुनौती को स्वीकार करना होगा। यह भी तय करना होगा कि परिणाम भी समय पर घोषित हों। दीक्षंात समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति ने विद्यार्थियों से कहा कि सिर्फ किताबी कीड़ा न बनें। डिग्री लेने के बाद खुले आसमान में उडऩे का समय है। इसमें कड़ी स्पर्धा व कड़ी मेहनत करनी होगी। खुद को प्रमाणित करना होगा। खुशी इस बात की भी है कि दुनिया के 200 विश्वविद्यालयों में इस वर्ष भारत के भी दो विश्वविद्यालय शामिल हो गए हैं लेकिन अभी इनमें उत्तर प्रदेश का नंबर नही आया है। स्वर्ण पदक पाने वाले छात्रों की तुलना में छात्राओं की संख्या काफी अधिक होने को उन्होंने महिला सशक्तीकरण का परिचायक कहा लेकिन साथ ही सवाल भी उठाया और कहा कि यह सवाल बड़ा है कि छात्र इतने पीछे क्यों हैं।