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    राजनाथ सिंह ने रवाना की काठगोदाम एक्सप्रेस

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 07 Feb 2015 01:40 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड से सीधे जोडऩे के लिए आज गृह मंत्री तथा लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह लखनऊ से काठगोदाम एक्सप्रेस को रवाना करेंगे। लखनऊ जंक्शन रेल ...और पढ़ें

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    लखनऊ। उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड से सीधे जोडऩे के लिए आज गृह मंत्री तथा लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह लखनऊ से काठगोदाम एक्सप्रेस को रवाना किया। लखनऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन पर इस अवसर पर सांसद कौशल किशोर व भगत सिंह कोशीयारी तथा विधायक लखनऊ कैंट डॉ. रीता बहुगुणा तथा विधायकों के साथ रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा भी मौजूद थे।

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    गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संसदीय क्षेत्र को काठगोदाम एक्सप्रेस के रूप में तोहफा दिया है। लखनऊ के साथ ही प्रदेश के लोगों को अब काठगोदाम जाने वाले यात्रियों को बाघ एक्सप्रेस और गरीब रथ जैसी ट्रेनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। लखनऊ से काठगोदाम के लिए हफ्ते में तीन दिन काठगोदाम एक्सप्रेस का संचालन किया जाएगा। ट्रेन में आरक्षण की सुविधा शुरू कर दी गई है। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी आलोक कुमार सिंह के मुताबिक लखनऊ जंक्शन से ट्रेन संख्या 15043 आज सुबह 11 बजे रवाना होगी जो बरेली जंक्शन, बरेली सिटी, इज्जतनगर, भोजीपुरा, बहेड़ी, किच्छा, पंतनगर, लालकुंआ, हल्द्वानी होते हुए काठगोदाम शाम 5.40 बजे पहुंचेगी। काठगोदाम से ट्रेन शाम 6.55 बजे चलेगी जो लखनऊ जंक्शन देर रात 1.35 बजे आएगी। उन्होंने बताया कि आठ फरवरी से ट्रेन का संचालन नियमित रूप से किया जाएगा। ट्रेन संख्या 15043 लखनऊ जंक्शन से प्रत्येक बुधवार, गुरुवार व रविवार को संचालित होगी। ट्रेन लखनऊ जंक्शन से सुबह 8.05 बजे चलेगी जो दोपहर 2.55 बजे काठगोदाम पहुंचेगी। काठगोदाम से भी ट्रेन उक्त दिन ही संचालित की जाएगी। वापसी में काठगोदाम से ट्रेन संख्या 15044 शाम 4.05 बजे चलेगी जो लखनऊ जंक्शन उसी दिन रात 11.55 बजे आएगी। ट्रेन में यात्रियों की सुविधा के लिए नौ साधारण कोच, तीन वातानुकूलित चेयरकार और दो एसएलआर कोच लगेंगे।

    ट्रेन की समयसारिणी से नाराजगी

    पर्वतीय महापरिषद के महासचिव गणेश जोशी काठगोदाम एक्सप्रेस के संचालन से खुश तो हैं लेकिन समयसारिणी से संतुष्ट नहीं है। जोशी कहते हैं कि ट्रेन से लाखों लोगों की उम्मीद जुड़ी थी। पूर्वोत्तर रेलवे ने ट्रेन की समयसारिणी बिगाड़ कर उम्मीद पर पानी फेर दिया। परिषद ने ट्रेन को लखनऊ व काठगोदाम से रात में चलाने की मांग की थी। इसके साथ ही चेयरकार कोच से ज्यादा स्लीपर कोचों की जरूरत थी, लेकिन एक भी कोच नहीं लगाया गया। जोशी के मुताबिक ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों को आगे भी दस से बारह घंटे का सफर बस में करना पड़ता है, ऐसे में पहले ट्रेन से घंटों बैठकर सफर करना फिर बस में सफर करना यात्रियों के लिए कष्टकारी होगा।