श्रावस्ती में छापेमारी में बरामद हुई 10 लाख की खैर की लकड़ी, वनमाफिया फरार
श्रावस्ती में वन व पुलिस टीम ने भिनगा कोतवाली क्षेत्र के बांसकूड़ी गांव में सोमवार की रात छापामारी की। इस दौरान दो ट्रैक्टर-ट्रालियों पर लदी खैर की लकड़ी बरामद की गई। बरामद लकड़ी की कीमत 10 लाख से अधिक बताई जा रही है।
By Rafiya NazEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 05:57 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 05:57 PM (IST)
श्रावस्ती, जेएनएन। वन व पुलिस टीम ने भिनगा कोतवाली क्षेत्र के बांसकूड़ी गांव में सोमवार की रात छापामारी की। इस दौरान दो ट्रैक्टर-ट्रालियों पर लदी खैर की लकड़ी बरामद की गई। बरामद लकड़ी की कीमत 10 लाख से अधिक बताई जा रही है। पुलिस व वन टीम को देख कर वन माफिया मौके से फरार हो गए। वन अधिनियम, चोरी व बरामदगी का मुकदमा दर्ज किया गया है।
डीएफओ एपी यादव ने बताया कि रात लगभग दो बजे मुखबिर से सूचना मिली कि बांसकूड़ी गांव में जयद्रथ यादव व राजेंद्र वर्मा चोरी से जंगल में लगे खैर के पेड़ को कटवाकर ट्रैक्टर-ट्राली पर लदवा रहे हैं। इस सूचना पर भिनगा प्रभारी निरीक्षक बृजेश द्विवेदी व रेंजर आरके तिवारी वन व पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए। टीम को देख कर दोनों वनमाफिया मौके से फरार हो गए। डीएफओ ने बताया कि खैर की लकड़ी से लदी ट्रैक्टर-ट्राली को लाया गया। लकड़ी व ट्रैक्टर-ट्राली सीज कर दिया गया है। इस दौरान कुछ लकड़ी नीचे भी पड़ी हुई थी। रेंजर तिवारी ने बताया कि इस मामले में बांसकूड़ी गांव निवासी जयद्रथ यादव, अजय यादव, बृजेंद्र यादव, पद्युम्न यादव, राजेंद्र वर्मा, राहुल वर्मा व बलरामपुर जिले के संजीव तिवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच-पड़ताल की जा रही है। बरामदगी टीम में वन दारोगा बलराम गौड़, प्रमोद पाल, धीरेंद्र प्रताप सिंह व जगदीश शामिल रहे। भिनगा ही नहीं पूर्वी व पश्चिमी सोहेलवा जंगल में भी खैर की अवैध कटान जारी है। आए दिन खैर की बरामद लकड़ियां इस बात की पुष्टि करती हैं कि वन माफियाओं की नजर खैर के जंगल पर लगी हुई है।
5000 से 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल है कीमत
बता दें क कि खैर के हरे पेड़ को काटने की मनाही है। खैर की लकड़ी की मांग अधिक होने की वजह से वन तस्कर इस पेड़ की तस्करी करते हैं। बाजार में इस लकड़ी की कीमत 5000 से 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक है। वहीं एक वयस्क खैर के पेड़ से 5 से 7 लाख रुपए तक बिकती है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आइयूसीएन) ने वर्ष 2004 में विश्व भर में 552 पेड़ों की प्रजातियों को खतरे में माना था। जिसमें 45 प्रतिशत पेड़ भारत से थे। इन्हीं में खैर का नाम भी शामिल है। खैर की लकड़ी का इस्तेमाल औषधि बनाने से लेकर पान और पान मसाला में इस्तेमाल होने वाले कत्था, चमड़ा उद्योग में इसे चमकाने के लिए किया जाता है। प्रोटीन की अधिकता के कारण ऊंट और बकरी के चारे के लिए इसकी पत्तियों की काफी मांग है। चारकोल बनाने में भी इस लकड़ी का उपयोग होता है।आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल डायरिया, पाइल्स जैसे रोग ठीक करने में होता है। मांग अधिक होने की वजह से खैर के पेड़ों को अवैध रूप से काटा जाता है।
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