यूपी में मिली एक और खदान… लाखों टन की मात्रा में भरा है कीमती खनिज, मालामाल होगा खनन विभाग, मिलेगा रोजगार
विभाग द्वारा इस खदान की नीलामी की भी तैयारी कर ली है। जल्द ही शासन को रिपोर्ट भेजकर ग्लोबल टेंडर की तैयारी है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही मड़ावरा क्षेत्र में रॉक फास्फेट का बड़े पैमाने पर खनन शुरू होगा जिससे सरकारी खजाने में करोड़ों रुपए राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है वहीं हजारों लोगों को रोजगार देने का भी दावा किया जा रहा है।
जागरण ब्यूरो, ललितपुर। मड़ावरा क्षेत्र में रॉक फास्फेट की चार खदानों के बाद एक खदान की खोज हुई। वर्ष 1984-87 के बीच हुए सर्वे पर लखनऊ की भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण टीम द्वारा प्रारम्भिक सर्वेक्षण में यहां 7.4 लाख टन रॉक फास्फेट की उपलब्धता सामने आई है। यह रॉक फॉस्फेट 6.68 प्रतिशत ग्रेड का बताया गया है।
विभाग द्वारा इस खदान की नीलामी की भी तैयारी कर ली है। जल्द ही शासन को रिपोर्ट भेजकर ग्लोबल टेंडर की तैयारी है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही मड़ावरा क्षेत्र में रॉक फास्फेट का बड़े पैमाने पर खनन शुरू हो जाएगा। उक्त खनन कार्य से जहां सरकारी खजाने में करोड़ों रुपए राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है, तो वहीं हजारों लोगों को रोजगार देने का भी दावा किया जा रहा है।
बता दें कि मड़ावरा क्षेत्र के विभिन्न गांवों में रॉक फास्फेट प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। तीन खदानों की खोज की जाकर टेंडर भी फाइनल कर दिए गए हैं। एक खदान का टेंडर अभी जारी है। इसके साथ ही अब पांचवी खदान के रूप में बढ़वार की खोज हुई है। इसके भी टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
तीन खदानों के टेंडर फाइनल, चौथे का है जारी
मड़ावरा क्षेत्र में बढ़वार के अलावा पूर्व में चार ओर खदानों की खोज की जा चुकी है। इनमें तीन के टेंडर फाइनल हो चुके हैं, जबकि चौथे के टेंडर प्रक्रिया प्रचलित में है। बताया गया कि ब्लॉक प्रथम का टेंडर पीएसएचएसएम नर्वदापुरम, टू-डेस-फोर ब्लॉक का टेंडर लीला कृष्णा इंडस्ट्रीज दिल्ली व ब्लॉक-पांच का टेंडर एचएसएम नर्वदापुरम को दिया गया है। इनके आगे की प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा चौथा ब्लॉक पहाड़ी कला-गोराकलां का टेंडर निकाला जा चुका है। जल्द ही टेंडर फाइनल होने की उम्मीद है।
उर्वरक निर्माण के उपयुक्त है जिले का रॉक फॉस्फेट
जिले में उपलब्ध रॉक फास्फेट का भंडार उर्वरक निर्माण के लिए उपयुक्त है। जैविक खाद बनाने के लिए गोबर तथा रॉक फॉस्फेट को प्रयोग में लाया जाता है। रॉक फॉस्फेट की मदद से रासायनिक क्रिया करके सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) तथा डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) रासायनिक उर्वरक तैयार किए जाते हैं। खनिज फास्फेटों का सर्वाधिक प्रयोग फास्फेट उर्वरकों के निर्माण में होता है।
सरकार को मिलेगा करोड़ों का राजस्व
जनपद खनिज संपदाओं का भंडार है। यहां रॉक फास्फेट, सोना, आयरन व प्लेटिनम की खोज की जा चुकी है। इसके अलावा ग्रेनाइट, बालू, मौरंग, इमारती पत्थर आदि खनिज संपदाओं का खनन जारी है।
वर्तमान में खनिज संपदा की सबसे अधिक आय ग्रेनाइट से हो रही है। अब विभाग रॉक फास्फेट के खनन की तैयारी में है। टेंडर होते ही खनन शुरू हो जाएगा। इसका खनन शुरू होने से विभाग को अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी, साथ ही जनपद के बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा।
मड़ावरा में 7.35 वर्ग किमी एरिया में रॉक फॉस्फेट की एक ओर खदान मिली है। वर्ष 1984-87 में हुए सर्वे के प्रारम्भिक जाँच में यहां 7.4 लाख टन रॉक फॉस्फेट की उपलब्धता बतायी गयी है। यह रॉक फास्फेट 6.68 प्रतिशत ग्रेड का बताया गया है। रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जा रही है। जल्द ही भारत सरकार के खान मंत्रालय द्वारा इसका टेंडर फाइनल कर कंपनी का चयन किया जाएगा। टेंडर प्रक्रिया के बाद अन्य औपचारिकताओं के बाद शीघ्र ही खनन की कार्यवाही शुरू कराई जाएगी।
-अमितोष वर्मा, जिला खान अधिकारी, ललितपुर।