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प्रकृति के कण-कण में निहित परोपकार का सन्देश : ज्ञानसागर

ललितपुर ब्यूरो: सराकोद्धारक राष्ट्र संत जैन आचार्यश्री ज्ञानसागर महामुनिराज ने अपनी मंगलवाणी में कहा

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 May 2018 12:11 AM (IST)Updated: Sun, 13 May 2018 12:11 AM (IST)
प्रकृति के कण-कण में निहित परोपकार का सन्देश : ज्ञानसागर

ललितपुर ब्यूरो: सराकोद्धारक राष्ट्र संत जैन आचार्यश्री ज्ञानसागर महामुनिराज ने अपनी मंगलवाणी में कहा कि प्रकृति का कण-कण हमें परोपकार की शिक्षा देता है। नदियाँ परोपकार के लिए बहती हैं। वृक्ष धूप में रहकर हमें छाया देता है। सूर्य की किरणों से सम्पूर्ण संसार प्रकाशित हो रहा है। चन्द्रमा से शीतलता, समुद्र से वर्षा, वृक्षों से फलफूल और सब्जियाँ, गायों से दूध और वायु से हम सब जीवों को प्राण शक्ति मिल रही है। आचार्यश्री क्षेत्रपाल मन्दिर में चल रही धर्मसभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि परोपकार के अनेक रूप हैं। दूसरों की सहायता कर हम आत्मिक आनन्द प्राप्त करते हैं। प्यासे को पानी पिलाना, बीमार या घायल व्यक्ति को चिकित्सालय पहुँचाना, बुजुर्ग को बस में सीट देना, नेत्रहीन को सड़क पार करवाना। भूखे को रोटी, वस्त्रहीन को वस्त्र देना, गौशाला बनवाना, मुफ्त चिकित्सालयों में अनुदान देना, छायादार वृक्ष लगवाना, शिक्षण केन्द्र और धर्मशाला बनवाना परोपकार के रूप हैं। उन्होंने कहा कि खेद के साथ कहना पड़ता है कि आज का मानव दिन प्रतिदिन स्वार्थी और लालची होता जा रहा है। दूसरों के दुख से प्रसन्न और दूसरों के सुख से दुखी होने लगा है। मित्र की सहायता करने के स्थान पर संकट के समय भाग खड़ा होता है। उन्होंने कहा कि सड़क पर घायल पड़े व्यक्ति को देखकर अनदेखा किया जा रहा है। उस व्यक्ति के करुण-क्रन्दन से भी आज लोगों का दिल नहीं पसीजता। दूसरे की हानि में उसे अपना लाभ दिखाई देता है। दोपहर स्वाध्याय आत्मानुशासन की कक्षा में आचार्यश्री ने कहा कि शरीर नश्वर है और आत्मा अजर-अमर है। हमें शरीर की नहीं आत्मा की चिन्ता करना चाहिए। सबसे बड़ा धन सन्तोष है। जिसके जीवन में सन्तोष धन है, वास्तव में वही सच्चा धनवान और सुखी है। शाम को आचार्य भक्ति और ब्रह्मचारी अनीता दीदी, रेखा दीदी के प्रेरणादायी प्रवचन हो रहे हैं। इस अवसर दिल्ली, भोपाल, गाजियाबाद से आये श्रावक श्रेष्ठिजनों ने आचार्य विद्यासागर, सुमतिसागर के चित्र अनावरण और दीप प्रच्च्वलन किया। महिला मण्डल द्वारा आचार्यश्री को शास्त्र भेंट किया गया। मंगलाचरण डॉ. सुनील संचय ने किया। संचालन जैन पंचायत के महामंत्री डॉ.अक्षय टड़ैया ने किया। धार्मिक आयोजन समिति के संयोजक मनोज बबीना ने आगामी 15 मई को होने जा रही करियर काउंसलिंग की जानकारी दी। इस अवसर पर क्षेत्रपाल मन्दिर के प्रबन्धक द्वय राजेन्द्र लल्लू थनवारा, मोदी पंकज जैन पार्षद, पूर्व पंचायत अध्यक्ष ज्ञानचन्द इमलिया, पंचायत उपाध्यक्ष मीना इमलिया, संयोजक प्रदीप सतरवाँस, शीलचन्द्र अनौरा, अक्षय अलया, जिनेंद्र जैन डिस्को, अभिषेक अनौरा, गेंदालाल सतभैया, अखिलेश गदयाना, सतीश जैन, जिनेन्द्र थनवारा, राजेश जैन, सत्येन्द्र जैन, महेन्द्र जैन पंचमनगर, सनत खजुरिया, नरेन्द्र राजश्री, कवि युगल सौरभ सुमन-अनामिका अम्बर मेरठ, मनीष जैन गाजियाबाद, संजीव जैन, संजय मोदी, पण्डित गुलाब चन्द्र जैन, पण्डित वीरेन्द्र जैन, सुरेन्द्र जैन शास्त्री, विकास जैन, राहुल जैन, दीप्ति जैन आदि बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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परोपकारी जीवन में सच्चा सुख

आचार्यश्री ने आगे कहा कि मानव जीवन बड़े पुण्यों से मिला है। उसे परोपकार जैसे कार्य में लगाकर ही हम सच्ची शान्ति प्राप्त कर सकते हैं। यही सच्चा सुख और आनन्द है। परोपकारी व्यक्ति के लिए यह संसार कुटुम्ब बन जाता है। परोपकार ही पुण्य है और दूसरों को दुख देना पाप। परोपकार पुण्याय पापाय पर पीडनम्। मानव को तुच्छ वृत्ति छोड़कर परोपकारी बनना चाहिए। उसे यथा शक्ति दूसरों की सहायता करनी चाहिए। दूसरों के दर्द को समझें। व्यक्ति को कभी भी दूसरों को दर्द नहीं देना चाहिए। दूसरों को अगर आप खुशी नहीं दे सकते तो दुख भी न दें।


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