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एक साल में पुनर्जीवित होगी ओडी नदी : जल पुरुष

मड़ावरा (ललितपुर) : विकासखण्ड मडावरा सभागार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के तत्वावधान में जिला

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 May 2018 12:07 AM (IST)Updated: Sun, 13 May 2018 12:07 AM (IST)
एक साल में पुनर्जीवित होगी ओडी नदी : जल पुरुष

मड़ावरा (ललितपुर) : विकासखण्ड मडावरा सभागार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के तत्वावधान में जिला विज्ञान क्लब एवं बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान द्वारा जल पुरूष राजेन्द्र सिंह के मुख्य आतिथ्य एवं जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में ओडी नदी पुर्नजीवन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि एक साल के भीतर ओडी नदी पुनर्जीवित होगी। जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि पुराने जल स्रोतों को मनरेगा से जीवित किया जायेगा, ताकि जल की कमी न रहे। जल पुरुष ने ओडी नदी का अवलोकन भी किया।

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जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि वर्तमान में पुराने जलस्त्रोतों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप पुराने जलस्त्रोत खात्मे की ओर बढ़ रहे है। यही वह है कि पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है। गाँव एवं खेतों के आस-पास स्थित हमारे पुराने जलस्त्रोत नदी, नाले, झीलें, कुण्ड आदि समाप्त हो रहें हैं। इनसे ही धरती के अंदर पानी झिरकर पहुंचता है जिससे पानी का जलसा्रेत मजबूत होता था तथा वर्ष भर लोगों को जरूरत के अनुसार पानी की उपलब्धता हो जाती है। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर जनसभागिता के साथ पुराने जलस्त्रोतों को जीवित करने हेतु दृढ संकल्पित होकर बचाने के लिए आगे आयें। इस कार्य के लिए अब जिले के मुखिया जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह ने भी कमर कस ली है। ऐसे में जरूरत है कि अब लोग उनके साथ मिलकर पुराने जलस्त्रोतों को बचाने हेतु कंधा से कंधा मिलकर चलें। उन्होंनें कहा कि नदी की जमीन नदी की हो तथा पानी की जमीन पानी में तभी बात बनेगी। यह सब कार्य सफलता पूर्वक तभी सम्पन्न होगा जब जनभागीदारी होगी। उन्होंने कहा कि नदी में काम प्रारम्भ करने के पूर्व इसके पूरे भाग का अवलोकन कर वहाँ की स्थिति को जानना जरूरी है। नदी के पाचों अंगों का अध्ययन करें। नदी के आस-पास स्थित तालाब, पोखरों आदि का भी सर्वे कराकर उन्हें जिंदा करने का कार्य करें जिससे नदी के जलस्तर में तेजी आयेगी। उन्होंने कहा कि अब तक 11 नदियों को जनसहभागिता से जीवित किया है। ओडी नदी को एक वर्ष के अंदर जिंदा करना है।

जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि ओडी नदी को पुर्नजीवन देने का कार्य एक वर्ष में पूर्ण कर लिया जायेगा। यह गौरव की बात है कि जलपुरूष राजेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में ओडी नदी को पुर्नजीवन देने का कार्य करने का मौका मिल रहा है। पानी को लेकर उन्हें एशिया का सर्वोच्च सम्मान आपको मिल चुका है। उन्होंने कहा कि मनरेगा के धन का सदुपयोग करने की योजना बना ली है। मनरेगा से पुराने जल स्त्रोत कुँआ, तालाब, पोखर आदि को पुर्नजीवित करने का कार्य प्रमुखता के साथ कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि बारिश का पानी धरती पर जाकर जलस्तर की वृद्धि करे, इसके लिए सभी के सहयोग से पुराने जलस्त्रोतों को जिंदा करने का कार्य किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार भी यही चाहती है कि जनसहभागिता के साथ कार्य हों जिससे कि लोग इस बात को महसूस करें कि यह काम हमारा है और हमारे फायदे के लिए है। जलस्तर में वृद्धि होने पर पानी की किल्लत की समस्या कम होगी तथा लोगों को पानी की समस्या से निजात मिलेगी। बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के मंत्री वासुदेव ने कहा कि क्षेत्र में पानी के पुराने जलसा्रेत जिंदा हों इसके लिए जल पुरुष के सुझाव बेहद महत्वपूर्ण हैं। धौरीसागर में स्थित बण्डई नदी में पहले चेकडैम बनाकर पानी को रोका गया और बाद में बण्डई बाँध का निर्माण उनके मार्गदर्शन में हुआ।

जिला विज्ञान क्लब के समन्वयक सत्येन्द्र शिवा ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। इस दौरान प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी बलीराम वर्मा, प्रभागीय निदेशक वानिकी गोविंद शरण, अधिशाषी अभियंता लघु सिंचाई मृत्युन्जय कुमार, खण्ड विकास अधिकारी मडावरा बीपी शुक्ला, सहायक विकास अधिकारी लखनलाल झा, क्षेत्रीय वनाधिकारी मडावरा रावसाहब यादव, विजय सिंह सेंगर, शिवकुमार त्रिपाठी, मानसिंह, राहुल स्त्रोती, दीपक दुबे, प्रकाश सिंह, प्रेममोहन रिछारिया जेई लघु सिंचाई, आरबी पस्तौर जेई लघु सिंचाई, प्रधान उल्दनाखुर्द जगदीश यादव, प्रधान प्रतिनिधि हंसेरा छत्रपाल सिंह, मुकुन्द सिंह पहाडीकला, सोबरन सिंह धवा, रणवीर सिंह यादव हंसरा, ग्राम प्रधान मदनपुर जाहर सिंह, प्रधान बडवार राजाराम, प्रधान वनगुवा धनप्रसाद, प्रधान प्रतिनिधि रखवारा निर्भान सिंह यादव, प्रधान प्रतिनिधि रजौला चाली, तकनीकी सहायक मुकेश जैन, नसीर अहमद खान, गजराज आर्या, परशुराम, सौरभ तिवारी, सुरेशचंद आर्य, अनुज श्रीवास्तव, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा हृदेश कुमार, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी ज्योतिस्वरूप शर्मा, गुलझारीलाल, आलोक दुबे, रामदास सुमन, धन सिंह मौजूद रहे। संचालन बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के मंत्री वासुदेव ने किया।

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कम्पाईल-

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ललितपुर : ओडी नदी का निरीक्षण करते जल पुरुष व डीएम।

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फोटो- 4

ललितपुर : ओडी नदी का दृश्य।

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मदनपुर तालाब है ओडी नदी का उद्गम स्थल

जल पुरुष ने किया ओडी नदी का निरीक्षण कर औसत वर्षा की ली जानकारी

ललितपुर ब्यूरो :

जलपुरुष राजेन्द्र सिंह (रेमन मैक्सेसे पुरस्कृत) ने जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह के साथ ओडी नदी को पुनर्जीवित करने के लिये विकासखण्ड मड़ावरा स्थित मदनपुर नाला, मदनपुर तालाब एवं ओडी नदी का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें बताया गया कि ओडी नदी का उद्गम स्थल मदनपुर तालाब है। उन्होंने यहाँ की वार्षिक औसत वर्षा की भी जानकारी ली। उन्होंने बताया कि नदियाँ राज्यों की सीमाओं के तहत हमारा सहयोग नहीं करती हैं, अपितु वे अपना मार्ग स्वयं निर्धारित करती हैं।

उन्होंने सर्वप्रथम मदनपुर नाले पर स्थित चेकडेम का अवलोकन किया। ग्रामीणों से ओडी नदी के उद्गम स्थल तथा जनपद में होने वाली वार्षिक औसत वर्षा के बारे में जानकारी की, जिस पर ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि ओडी नदी का उद्गम स्थल मदनपुर सागर है एवं जनपद में औसतन 800 से 900 मिमी वर्षा होती है। उन्होंने कहा कि ओडी नदी एक वर्ष में पुनर्जीवित हो सकती है, क्योंकि इस नदी में मिक्स फ्रेक्चर (ढलान तथा मोड़) हैं। ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि यदि इस नदी की खुदाई करवा दी जाये, तो नदी की झिरें खुल जायेंगी एवं नदी में पानी का स्त्रोत बढ़ने लगेगा। इस क्षेत्र में बने सभी चैकडेम क्षतिग्रस्त अवस्था में हैं, जिनकी मरम्मत करायी जाये। जलपुरुष ने कहा कि यदि किसान ज्यादा पानी की आवश्यकता वाली फसल बोयेंगे तो उसे सिंचित करने के लिए अधिक जल की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि ईश्वर जंगल, नदी, पहाड़ के रूप में हमारे साथ है। हमें वर्षा के अनुरूप बोई जाने वाली फसलों का चयन करना चाहिए। उन्होंने जिलाधिकारी के साथ मदनपुर तालाब तालाब का निरीक्षण किया और इसके क्षेत्रफल के बारे में जानकारी की। ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि यह तालाब लगभग 100 एकड़ के भूमि क्षेत्र में विस्तृत है। जल पुरुष ने ओडी नदी का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने नदी के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि नदी के जिस भाग में वर्षभर जल का भराव रहता है, उस भाग को 'डबरा' (भंवर) के नाम से जाना जाता है। यदि इस नदी की ड्रेजिंग (नदी के जिन भागों में मिट्टी की मात्रा अधिक पायी जाती है, उन भागों से नियम मात्रा में मिट्टी को निकालना) करा दी जाये तो यह नदी पुनर्जीवित हो जायेगी। ड्रेजिंग (नदी की खुदाई) कराने से नदी के किनारे पर स्थित बंद झिरें खुल जाती हैं।

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फोटो-5

ललितपुर : जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह।

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जल पुरुष के सुझावों पर होगा अमल : डीएम

ललितपुर : ओडी नदी को पुनर्जीवित करने का का अनूठा प्रयास करने वाले जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह का कहना है कि यह काम आसान नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुये विशेषज्ञ के रूप में जल पुरुष राजेन्द्र सिंह के साथ ओडी नदी का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान जल पुरुष ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये, जिनके माध्यम से नदी को पुनर्जीवित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि नदी की लंबाई 14 किलोमीटर है, जिसमें से 4 किलोमीटर हिस्सा मध्यप्रदेश में आता है जबकि शेष 10 किलोमीटर का हिस्सा ललितपुर में है। निरीक्षण के दौरान यह बात सामने आई कि नदी की खुदाई कर दी जाये तो जल स्तर में वृद्धि होगी। लिहाजा वैज्ञानिक तरीके से नदी को पुनर्जीवित करने का काम किया जायेगा। नदी के मोड़ों पर खुदाई की जायेगी और डबरा बनाया जायेगा जहाँ पानी का ठहराव होगा। उन्होंने बताया कि नदी के आसपास के तालाबों का भी गहरीकरण किया जायेगा। ओडी नदी के उद्गम स्थल मदनपुर तालाब के आसपास खेत तालाबों का निर्माण कराया जायेगा। नदी अधिकतर वन क्षेत्र में है लिहाजा पूरे क्षेत्र में सघन वनीकरण होगा। उन्होंने बताया कि मनरेगा के पैसे का सदुपयोग करते हुये नदी को नयाजीवन दिया जायेगा। इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने आम जनता से भी इस कार्य में सहयोग का आह्वान किया।

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बॉक्स में

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..तो 'शहजादी' को मिलेगा नया जीवन

ललितपुर: शहर की 'शहजादी' शहजाद नदी भी आज अपनी बदहाली और उपेक्षा पर आँसू बहा रही है। तमाम प्रयासों के बावजूद इस नदी का अस्तित्व आज खतरे में है। इस नदी के किनारे कई आस्था के स्थल भी है, इसके बावजूद इस नदी को बचाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाये गये। यदि शहर के नजदीक स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर पर इस नदी पर चैकडेम बनाकर इसकी ऊँचाई बढ़ा दी जाये, तो एक ओर जहा इस नदी का जलस्तर बढ़ जायेगा और इसका पानी अविरल बहता रहेगा। तो वही दूसरी ओर इस नदी को भी नया जीवन मिलेगा। इस ओर भी शासन प्रशासन के साथ-साथ स्वयंसेवी संगठनों को ध्यान देना चाहिए।

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अन्य नदियो को भी नजरे इनायत का इतजार

ललितपुर: जनपद की कई ऐसी नदिया है, जो आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। भले ही बरसात के मौसम में ये नदिया कल-कल बहती हो, लेकिन सर्दी के मौसम की समाप्ति से लेकर बरसात शुरू होने तक ये नदिया उपेक्षा और उदासीनता का दंश झेलकर वीरान सी नजर आती है। इन नदियो में बूंद भर पानी भी नहीं बचता। बालाबेहट क्षेत्र की जीवनदायिनी सौंर नदी, मड़ावरा क्षेत्र की बण्डई नदी, पाली क्षेत्र की घुंसी नदी, बानपुर मार्ग पर स्थित उटारी नदी, जखौरा क्षेत्र की खैडर नदी आदि कई छोटी बड़ी ऐसी नदिया है, जो अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। प्रशासन इन नदियो का भी ओडी नदी की तरह कायाकल्प करने को कदम उठाये।


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