आश्रम पद्धति इण्टर कॉलेज में उल्टी दस्त का कहर
तालबेहट (ललितपुर) : ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब बच्चों को गुणवत्तापरक आवासीय शिक्षा देने की मंशा से शुरू किए आश्रम पद्धति इण्टर कॉलेज के छात्र इन दिनों नरक भोगने को मजबूर है। बच्चों के ठहरने के लिये बनाये गये हॉस्टल के शौचालयों की स्थिति देखकर ही महज अन्दाजा लगाया जा सकता है, कि यहाँ पढ़ने वाले छात्रों के जीवन के साथ कितना खिलवाड़ किया जा रहा है। शौचालयों के लिये बनाया गया टैक ओवरफ्लों होने के कारण पूरे विद्यालय परिसर में बदबू फैल रही है। जिसके चलते विद्यालय के करीब दो दर्जन छात्र गम्भीर रूप से बीमार हो गये हैं।
उल्टी दस्त की चपेट में आये छात्रों का सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया। जहाँ चिकित्सकों ने बीमार छात्रों का उपचार किया। राजकीय आश्रम पद्धति इण्टर कॉलेज में न तो पानी, न बिजली, न ढग का खाना, न बैठने की व्यवस्था, न शौचालय कुछ नहीं है। बच्चे गन्दे बिस्तरों पर शयन करने के लिये मजबूर है। विद्यालय हॉस्टल की तो छोड़िये यहाँ तो किचन व डायनिंग हॉल का भी बुराहाल है। किचन के अन्दर भी जगह-जगह पड़ी गन्दगी से उठ रही दुर्गन्ध का छात्रों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। बच्चे खाना डायनिंग हॉल के बजाय बाहर बैठकर खाते है। शौचालयों की स्थिति इतनी खराब है कि बच्चे में खुले में शौच करने को मजबूर है। टैक ओवरफ्लो होने से टैक का ढक्कन टूट गया है। जिससे टैक के अन्दर भरा मल पूरे परिसर में बह रहा है। इसी मल से गन्दे हानिकारक कीटाँणु निकलकर हॉस्टल के कमरों में पहुँच गये हैं। स्थिति दयनीय है। विद्यालय में तैनात फार्मासिस्ट संगीता लहरी ने बताया कि टैक का ढक्कन टूटने से टैक के समीप बह रहे मलमूत्र से उठ रही दुर्गन्ध के कारण बच्चों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। हॉस्टल के कमरों में बच्चों की अलमारियों से लॉकर गायब है। खुले में बच्चों का सामान रखा रहता है। गेट टूटे हैं। खुले तारों के द्वारा विद्युत सप्लाई है। गन्दे बिस्तर बदबू मार रहे है। ऐसे में बच्चे क्या पढ़ते होंगे और कैसे यहाँ रहते होंगे? विद्यालय की बिजली व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। प्रकाश की व्यवस्था के लिये लगाया गया जनरेटर भी सफेद हाथी बन गया है। जहाँ जूनियर हाइस्कूल की कक्षाएं जहाँ संचालित हो रही है, उस भवन को सरकार द्वारा पूर्व में कण्डम घोषित कर दिया गया है। उसके बाद भी विद्यालय प्रशासन द्वारा कक्षायें संचालित करायीं जाकर बच्चों को मौत के साये में धकेला जा रहा है।