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संकट में दुधमुंहों के जीवन के रक्षक बने विनीत

क्वारंटाइन सेंटरों में हर दिन सुबह शाम दुधमुंहे बचों को गाय का दूध बांटते हैं। पिछले 25 दिन से विनीत यही काम कर रहे है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 11:06 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 11:54 PM (IST)
संकट में दुधमुंहों के जीवन के रक्षक बने विनीत
संकट में दुधमुंहों के जीवन के रक्षक बने विनीत

धर्मेश शुक्ला, लखीमपुर

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बिना दूध के एक दुधमुंहे बच्चे को बिलखता देख विनीत के दिलोदिमाग पर ऐसा गहरा असर पड़ा कि वह अब हर क्वारंटाइन सेटरों पर मासूमों के लिए गाय का दूध व पौष्टिक आहार पहुंचाता है।

पिछले 25 दिन से विनीत का ये काम जारी है। वह अपने इस काम की कोई भी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर नहीं कर रहे। कोरोना संकट से लड़ रहे विनीत हर दिन तीन क्वारंटाइन सेंटरों में सुबह शाम पहुंच रहे हैं और मासूमों को नया जीवन दे रहे हैं। उन्होंने क्वारंटाइन सेंटरों पर स्टीकर चस्पा कर रखा है कि एक साल तक के बच्चे के लिए हर वक्त दूध के लिए फोन करें। तहसीलदार सदर उमाकात त्रिपाठी विनीत के इस काम की प्रशंसा करते नहीं अघा रहे। वह कहते हैं ऐसे युवाओं की कोरोना काल में देश को बहुत जरूरत है। प्रवासी महिला की माग ने दी विनीत को प्रेरणा विनीत कहते हैं 10 मई को भी एलआरपी रोड पर बने क्वारंटाइन सेंटर प्रेसीडेंट लॉन में लोगों को चाय बांट रहे थे, तभी हरियाणा से आई बस से गोद में एक साल का बच्चा लिए एक महिला उतरी। विनीत के हाथ में केतली देखकर गिड़गिड़ाने लगी कि उसका बच्चा भूख से बेहाल है, उसे दूध ला दीजिए। उस महिला ने यह कहकर विनीत को स्तब्ध कर दिया कि उसने दो दिन से कुछ नहीं खाया, उसके शरीर में एक बूंद दूध नहीं बचा, बच्चा पिछले कई घटों से भूखा और बेहाल है। विनीत महिला की बात सुनकर वापस चाय बांटने के अपने काम में लग गए और करीब बीस मिनट बाद जब वह दूध लाने के लिए गए तब तक महिला समेत सभी बस में सवार प्रवासी स्क्रीनिंग कराकर वापस धौरहरा के लिए चले गए थे। इस घटना ने विनीत को अंदर तक झकझोर दिया। उसी दिन से विनीत ऐसे बच्चों के लिए गाय को दूध बांटने के काम में लग गए।

नहीं आई नींद जब निकले दस पॉजिटिव विनीत और उनके सहयोगी आकाश दोनों की हलक 13 मई को सूख गई। वह दोनों एक क्वारंटाइन सेंटर पर प्रवासियों को चाय व बच्चों को दूध बांटकर आए थे, शाम को रिपोर्ट आई कि उसमें 10 प्रवासी पॉजिटिव हो गए। दोनों को गहरा धक्का लगा। विनीत कहते हैं कि रात भर उनको नींद नहीं आई सुबह सबसे पहले अपनी जाच कराई भगवान का शुक्र था कि वह स्वस्थ निकले। वह कहते हैं कि सभी क्वारंटाइन सेंटर पर जनता क‌र्फ्यू के अगले दिन से चाय भी बांट रहे लेकिन दूध बांटने का क्रम 10 मई से शुरू हुआ।


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