बाघिन को ट्रैंकुलाइज करने के लिए पीसीसीएफ से मांगी अनुमति
लखीमपुर उत्तर निघासन रेंज के मझरा पूरब में ग्रामीणों के लिए खतरा बनी बाघिन को वन विभाग
लखीमपुर : उत्तर निघासन रेंज के मझरा पूरब में ग्रामीणों के लिए खतरा बनी बाघिन को वन विभाग जंगल की ओर नहीं मोड़ पा रहा है। कतर्निया घाट से दो हाथी कांबिग के लिए बुलाए गए हैं और पिजरा भी लगा है, लेकिन अब बाघिन अपने शावक के साथ गांव में घुसकर मवेशियों का शिकार करने लगी है।
बाघिन और हिसक न हो, इसके लिए वन विभाग ने पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ से बाघिन को ट्रैंकुलाइज करने की अनुमति मांगी है। डीडी बफरजोन सुंदरेसा ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि गांव के बाहर फेंसिग के लिए शासन से बजट की डिमांड की गई है। जल्द ही बजट मिलने पर काम शुरू करा दिया जाएगा। डीडी ने बताया कि बाघिन के साथ उसका शावक भी है। इसलिए लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि बाघिन को किसी तरह जंगल की ओर मोड़ा जाए।
झाले में बंधी गाय को बाघिन ने उतारा मारा दुमेड़ा गांव के बाद बाघिन ने औंधैया गांव में एक झाले के अंदर घुसकर गाय को मौत के घाट उतार दिया। रात करीब 11 बजे हुई इस घटना से गाय चिल्लाने लगी, जिससे ग्रामीणों में भगदड़ सी मच गई। ग्रामीणों ने वन विभाग के प्रति आक्रोश जताया।
दुमेड़ा गांव के बाद बाघिन ने औंधैया गांव में ग्रामीण प्रताप सिंह के झाले में घुसकर बंधी गाय को मौत के घाट उतार दिया। गाय की चीख से झाले में सो रहे प्रताप सिंह व परिवार जग गए। बाघिन होने की जानकारी से उनमें भगदड़ मच गई। धीरे-धीरे तमाम लोग इकट्ठा हो गए और शोर मचाकर बाघिन को खदेड़ा। प्रताप ने बताया कि बाघिन झाले के अंदर पहुंच गई थी। वह लोग भी झाले में ही सो रहे थे। ग्रामीणों का आक्रोश देखने के बाद वन विभाग ने बाघिन को जल्द पकड़ने का आश्वासन देकर ग्रामीणों को शांत कराया। वन दरोगा हरिलाल व टीम मझरा पूरब व उसके आसपास के गांवों में मादा हाथी चंपाकली व जयमाला के साथ पेट्रोलिग की।
रेंजर विमलेश कुमार का कहना है कि बाघिन की लोकेशन की जानकारी शासन तक दी गई है। अनुमति मिलने के बाद बाघिन को ट्रैंकुलाइज किया जाएगा। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम को बुलाकर कैमरे की लोकेशन भी बदली जाएगी।
दस दिन से मझरा पूरब इलाके में डटी बाघिन तिकुनिया के मझरा पूरब इलाके में 10 दिनों से बाघिन ने डेरा जमा रखा है। बाघिन को खदेड़ने के लिए डटी वन विभाग की टीम को अभी तक कोई सफलता नहीं मिल सकी है। जिससे मानव-बाघ संघर्ष का खतरा बढ़ता जा रहा है।
मझरा पूरब के दुमेड़ा, औंधैया व नानकपुर गांव सहित आसपास के गांवों पर बाघिन ने दहशत का माहौल बनाया है। बाघिन लगातार इन गांवों में बनी हुई है। बाघिन की लगातार मूवमेंट से ग्रामीणों की नींद उड़ी है। दस दिन पूर्व राममूर्ति को मौत के घाट उतारने के बाद बाघिन दो बैल और एक गाय को भी मौत की नींद सुला दी है। ग्रामीण निर्मल सिंह ने बताया कि गांव में बाघिन बनी हुई है, फिर भी वन विभाग हाथ पर हाथ धरकर बैठा हुआ है। कभी भी बाघिन ग्रामीणों को भी मौत की नींद सुला सकती है। बाघिन को पकड़ने को लेकर ग्रामीणों के आक्रोश का सामना भी वन विभाग की टीम को करना पड़ रहा है। ग्रामीण वन विभाग के अधिकारियों से मिले आश्वासन के बाद शांत तो हो जाते हैं लेकिन, कभी भी ग्रामीण आक्रोशित हो सकते हैं। वन क्षेत्राधिकारी विमलेश कुमार ने बताया कि यहां के स्तर से जो भी प्रयास है, वह सभी किए जा रहे हैं। केवल शासन से अनुमति का इंतजार है। रेंजर भी मानते हैं कि बाघिन से लगातार इलाके में खतरा बना हुआ है।