बेटियों को स्वावलंबी बना रहे होमगार्ड डॉ. ज्ञानेंद्र
लखीमपुर: किसी होमगार्ड के सामने जब डॉक्टर लिखा हो तो बात थोड़ा चौंका सकती है लेकिन ये
लखीमपुर: किसी होमगार्ड के सामने जब डॉक्टर लिखा हो तो बात थोड़ा चौंका सकती है लेकिन ये कामयाबी हासिल की है एक होमगार्ड के जवान ने। कड़ी चुनौतियों का मुकाबला करके होमगार्ड ज्ञानेंद्र पहले अपनी पढ़ाई पूरी की और बाद में डाक्ट्रेट की उपाधि भी हासिल की। इसके बाद खुद की समाज के प्रति और उपयोगिता कैसे हो ? ये सोंच कर डॉ. ज्ञानेंद्र प्राइमरी व निजी स्कूलों में मोटीवेशन क्लासेज पढ़ाना शुरू कर दिया। पिछले एक साल में अब तक वह पचास से ज्यादा स्कूलों में जाकर ये फ्री क्लासेज दे चुके हैं। इनका समाज के प्रति नजरिया देखिए कि ये खुद गजक पट्टी बेचकर जिन स्कूलों में जाते हैं वहां की छात्राओं व बच्चों को उपहार स्वरूप पेंसिल, पेन व किताबें भी भेंट करते हैं। जिले के नीमगांव थाना क्षेत्र के गांव पैला के रहने वाले होमगार्ड डॉ. ज्ञानेंद्र का पढ़ाई को लेकर जुनून देखिए कि वह जब आर्थिक तंगी से जूझे तो उन्होंने गजक पट्टी बेचना शुरू कर दिया ओर अपनी उच्च शिक्षा की पढ़ाई जारी रखी। मुश्किल हालातों में ज्ञानेंद्र बढ़ते रहे और लखनऊ विश्वविद्यालय में दाखिला लेकर यहीं से एमफिल किया और डाक्ट्रेट की उपाधि हासिल की। ज्ञानेंद्र बताते हैं कि इतना सब करने के बाद उनको लगा कि उनकी समाज के प्रति भी कुछ जिम्मेदारी बनती है तो उन्होंने बीस सितंबर 2017 से प्राइमरी व निजी स्कूलों में मोटीवेशन क्लासेज देना शुरू कर दिया। इसके अलावा ¨हदी साहित्य में शब्दों की वर्तनी व उनकी उनकी गल्तियों के बारे में भी वह स्कूलों में विस्तार से बताते हैं। ज्ञानेंद्र बेटियां कैसे सुरक्षित रहें? ये भी समझाते हैं। वे जिस गांव में दबिश या सरकारी काम से जाते हैं वहां जरूर पूछते हैं कि यहां की सारी बेटियां स्कूल जाती हैं या नहीं। उनकी ट्रेनिंग के दौरान उनको जो टिप्स मिले थे ज्ञानेंद्र वह भी बेटियों को सिखाते हैं। उनका कहना है कि उनकी ये कक्षाएं लगातार जारी रहेंगी। डॉ. ज्ञानेंद्र पीएम मोदी की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान से भी प्रभावित हैं और कहते हैं कि अब यही अभियान उनके जीवन का लक्ष्य है। ज्ञानेंद्र को अब तक खीरी जिले के एसपी डॉ. एस चन्नप्पा और डीएम आकाशदीप ने सम्मानित किया था।