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पति का साथ छूटा मगर नहीं टूटा समाज सेवा का वादा

जागरण संवाददाता लखीमपुर कभी घर की चारदीवारी में बैठकर परिवार की तमाम घरेलू जिम्मेदारियां उनके कंधों पर थी। समाजसेवा का जज्बा लिए पति अरुण वर्मा राजनीति में अपने पांव जमाने के लिए कड़ा संघर्ष करते जा रहे थे इसी दौरान तकदीर में एक बड़ा खेल खेला।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2020 11:17 PM (IST)Updated: Sat, 07 Mar 2020 11:17 PM (IST)
पति का साथ छूटा मगर नहीं टूटा समाज सेवा का वादा
पति का साथ छूटा मगर नहीं टूटा समाज सेवा का वादा

लखीमपुर: कभी घर की चारदीवारी में बैठकर परिवार की तमाम घरेलू जिम्मेदारियां उनके कंधों पर हुआ करती थीं। समाजसेवा का जज्बा लिए पति अरुण वर्मा राजनीति में अपने पांव जमाने के लिए कड़ा संघर्ष करते जा रहे थे इसी दौरान तकदीर में एक बड़ा खेल खेला। अचानक एक दिन हृदय गति रुकने से सांसद रेखा वर्मा के पति का निधन हो गया। अंतिम लम्हों में उन्होंने अपने पति से वादा किया कि समाज सेवा का यह संकल्प और उनका सपना वह मरते दम तक पूरा करने के लिए प्रयासरत रहेंगी।

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रेखा वर्मा को पार्टी की तरफ से भी सहानुभूति मिली और भारतीय जनता पार्टी ने उनको वर्ष 2014 के आम चुनाव में धौरहरा संसदीय क्षेत्र से टिकट दे दिया। पहली बार राजनीति में कदम रखना किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता। खासकर उनके लिए जिन्होंने घर के बाहर की दुनिया देखी ही न हो, लेकिन पति से किया हुआ वादा पूरा करने के लिए रेखा वर्मा ने न केवल बाहर निकलने का निर्णय लिया बल्कि घर-घर जाकर लोगों से समर्थन मांगा। व्यवहार कुशल पति को देखकर जनता ने दिल खोलकर उन्हें अपना समर्थन दिया और वह घर की देहरी पार कर देश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत संसद भवन में पहुंच गई। पांच साल तक उन्होंने क्षेत्र की समस्याओं को सदन में पुरजोर तरीके से उठाया। पहले ही सत्र में करीब तीन सौ सवाल संसद में उठाए। पांच साल के बाद एक बार फिर से परीक्षा की घड़ी आई इस बार भी सांसद रेखा जी अपने किए गए कार्यों को लेकर दोबारा जनता के बीच में पहुंचीं और जनता ने इस बार पहले से ज्यादा भरोसा उन पर जताया और वह दूसरी बार सांसद चुनी गई। क्षेत्र वासियों के लिए समर्पित रेखा वर्मा कहती हैं कि उनका केवल एक ही सपना है कि अपने पति के समाज सेवा के सपने को पूरा करना और वह चाहते थे कि उनके क्षेत्र की जनता किसी भी तरीके से दुखी रहे न परेशान।

सांसद रेखा कहती हैं कि वह आखिरी सांस तक लोगों के बीच जाकर उनके दुख दर्द दूर करने का अपना सिलसिला जारी रखेंगी और उनके बाद यह दायित्व उनका बेटा अनिमेष वर्मा पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाएगा। जो अभी से ही अपनी मां के साथ रहकर लोगों के दुख दर्द सुन व समझ रहा है।

वह कहती हैं कि अपने प्रमुख कार्यों में उन्होंने नेशनल हाईवे 24, स्टेट हाईवे 730 ए पीलीभीत-बस्ती मार्ग, लहरपुर-भदफर मार्ग के अलावा एक ट्रामा सेंटर और महोली में एक नवोदय विद्यालय भी शुरू कराया जहां से आम लोगों को बड़ी राहत मिल रही है।


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