जिले में नहीं होनी चाहिए खाद एवं उर्वरक की किल्लत : डीएम
डीएम ने समीक्षा की। ओवररेटिग एवं कालाबाजारी करने वाले दुकानदारों पर हो प्रभावी कार्रवाई। सचिव की गैर मौजूदगी में खाद वितरण। आगामी दिनों में एक रैक यूरिया उर्वरक और प्राप्त होने की संभावना है।
लखीमपुर : जिले में यूरिया की उपलब्धता को लेकर डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इसमें यह स्पष्ट हुआ कि सहकारिता विभाग को खरीफ अभियान में कुल 38101 मीट्रिक टन यूरिया उर्वरक वितरण का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। जिसमें शासनादेश के अनुसार माह जून तक 7499 मीट्रिक टन यूरिया उर्वरक वितरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन, जिले में समय-समय पर हो रही बारिश एवं किसानों में इफको एवं कृभको यूरिया की मांग के कारण गुरुवार तक कुल 24100 मीट्रिक टन यूरिया उर्वरक का वितरण किसानों के मध्य किया जा चुका है। इसमें 16661 मीट्रिक टन कृषि ऋण सहकारी समितियों के माध्यम से एवं तथा शेष 8194 मीट्रिक टन यूरिया उर्वरक का वितरण गन्ना समितियों एवं अन्य के माध्यम से किया जा चुका है। खरीफ वर्ष 2019-22 के जून माह में 15046 मीट्रिक टन यूरिया उर्वरक प्राप्त हुई थी, जबकि वर्तमान वर्ष में अभी तक 12897 मीट्रिक टन यूरिया उर्वरक प्राप्त हो चुकी है। आगामी दिनों में एक रैक यूरिया उर्वरक और प्राप्त होने की संभावना है।
सहकारी समितियों पर उपलब्ध यूरिया उर्वरक के समुचित वितरण के लिए सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता को निर्देशित किया कि वह फील्ड स्टाफ को सतर्क करते हुए निर्देशित करें कि पीओएस मशीन के माध्यम से किसानों की जोत एवं मांग तथा आपूर्ति को ध्यान में रखकर यूरिया उर्वरक का वितरण किया जाए। जिला गन्ना अधिकारी को निर्देश दिए कि वह लगातार निरीक्षण करते हुए गन्ना समितियों के माध्यम से वितरित यूरिया में किसी भी प्रकार की अनियमिता न हो इसके लिए संबंधित को निर्देश दें। जिला कृषि अधिकारी से भी जिले की निजी खाद की दुकानों पर लगातार प्राप्त हो रही ओवररेटिग की शिकायतें एवं कालाबाजारी करने वाले दुकानदारों के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए। सचिव की गैर मौजूदगी में खाद वितरण
बिजुआ ब्लॉक के भानपुर की साधन सहकारी समिति में यूरिया खाद उपलब्ध है जो किसानों को दी जा रही है लेकिन, सचिव के अटैचमेंट के चलते सचिव की गैरमौजूदगी में खाद का वितरण एक प्राइवेट स्तर के कर्मचारी द्वारा किया जा रहा है। जिससे सरकारी धन के गबन का भय व्याप्त है। वहीं समित पर उपलब्ध खाद पानी में भीगी हुई है। जिससे किसान खाद को भरपूर मात्रा में नहीं खरीद रहे हैं। वहीं किसानों को खाद के साथ जिक भी दी जा रही है। जिससे किसानों को खाद की निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य चुकाना पड़ रहा है।