प्राकृतिक चिकित्सा से स्वस्थ और सक्षम बनाने पर चर्चा
लखीमपुर : भगवानदीन आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राकृतिक चिकित्सा कार्यशाला का आयोजन
लखीमपुर : भगवानदीन आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राकृतिक चिकित्सा कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय नेचुरोपैथी स्वास्थ्य संस्था के संयुक्त तत्वावधान में दो दिन की कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से समाज को स्वस्थ और सक्षम बनाना है। भगवानदीन आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित प्राकृतिक चिकित्सा कार्यशाला के पहले दिन डॉ.शीलू गुप्ता ने प्राकृतिक चिकित्सा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्राचीन और प्रभावशाली चिकित्सा पद्धति के माध्यम से शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक विकास किया जा सकता है। महात्मा गांधी ने इसका समर्थन करते हुए 1943 में उरली कांचन में एक चिकित्सालय भी स्थापित किया था। विज्ञान समर्थित लोकप्रियता के कारण आयुष विभाग भारत सरकार ने 18 नवंबर को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस घोषित किया। अंजुल जलोटा ने कहा कि 18 नवंबर को महात्मा गांधी ऑल इंडिया नेचर क्योर फाउंडेशन ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष बने। उन्होंने रोगों की रोकथाम के लिए ही नहीं बल्कि रोग उत्पन्न न हो, इसके लिए किए जाने वाले प्रयोगों को बढ़ावा दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. सुरचना त्रिवेदी ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा पूरे विश्व में लोकप्रिय पद्धति है तथा स्वस्थ मानव समाज की संरचना में सहायक है। विश्व स्तर पर लुईकने, फादर क्लाइप, एडोल्फ आदि के योगदान का भी उल्लेख उन्होंने किया। प्राकृतिक चिकित्सा के कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होते हैं, इसलिए यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। विषय परिवर्तन करते हुए संचालन कर रही डॉ. गीता शुक्ला ने व्यक्ति परिवार और समाज के स्वास्थ्य रक्षा में प्राकृतिक चिकित्सा के योगदान पर प्रकाश डाला। इस मौके पर अंजू जलोटा अंशु गुप्ता आदि ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में डॉ. शशि प्रभा वाजपेई, डॉ. सुशीला ¨सह, रेखा पांडेय, डॉ. अर्चना ¨सह, शिवांगी सक्सेना, रीता ¨सह समेत शिक्षिकाएं और छात्राएं मौजूद रहीं।