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दिनभर हुई रंग-बिरंगे करवों की खरीदारी, करवा चौथ आज

लखीमपुर करवाचौथ का पर्व गुरुवार को परंपरागत रूप से मनाया जाएगा। इसे लेकर बाजार में दिनभर रंग-बिरंगे करवों की खरीदारी होती रही।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 10:57 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 06:02 AM (IST)
दिनभर हुई रंग-बिरंगे करवों की खरीदारी, करवा चौथ आज
दिनभर हुई रंग-बिरंगे करवों की खरीदारी, करवा चौथ आज

लखीमपुर : करवाचौथ का पर्व गुरुवार को परंपरागत रूप से मनाया जाएगा। इसे लेकर बाजार में दिनभर रंग-बिरंगे करवों की खरीदारी होती रही। पूरे दिन बाजार में बताशा, खील मिट्टी के रंग-बिरंगे करवे, सींके इत्यादि खरीदने के लिए राजकीय इंटर कॉलेज के खेल के मैदान के सामने तथा अन्य जगहों पर भी महिलाओं पुरुषों सभी की भीड़ रही। वहीं बर्तन बाजार में भी पीतल के गरबे खूब बिके। मिट्टी के करवे जहां 20 रुपये से लेकर के 40 और 50 रुपये तक थे। वहीं पीतल के करवे ढाई सौ रुपये, डेढ़ सौ रुपये से लेकर 450 और 500 रुपए तक थे।

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27 वर्षो बाद बन रहा संयोग

इस बार गुरुवार को पड़ने वाला करवा चौथ का व्रत उत्सव शुक्ला शास्त्री के अनुसार 27 साल बाद शुभ संयोग बना रहा है। करवा चौथ के दिन रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से अमर सुहाग योग, मार्कंडेय योग, सत्यभामा योग बन रहा है। पति के लिए व्रत रखने वालीं सुहागिनों के लिए यह विशेष फलदाई होगा। ऐसा योग भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभामा के मिलने के समय ही बना था। रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का होना करवा चौथ को अधिक मंगलकारी बना रहा है।

ऐसे करें व्रत पूजा

पहली बार करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाओं के लिए विशेष अच्छा है। सौभाग्यवती स्त्रियां सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं। सरगी के रूप मिला हुआ भोजन करें पानी पिएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। करवा चौथ में महिलाएं पूरे दिन अन्न जल कुछ भी ग्रहण नहीं करती हैं। फिर शाम के समय चांद को एक थाली में धूप दीप चंदन रोली सिदूर रखें और घी का दीपक जलाएं पूजा करें। पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले प्रारंभ कर देनी चाहिए। इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं। पूजन के समय करवा चौथ कथा जरूर सुने या सुनाएं। चांद को छलनी से देखने के बाद पति के हाथ से जल पीकर पूरा बताशा खाकर व्रत खोलना चाहिए। बताशा पूर्ण है और रिश्ते को पूर्ण बनाता है। आधा बताशा एक दूसरे को नहीं खिलाना चाहिए बल्कि पूरा खाएं और पूरा ही खिलाएं। ताकि आपके अंदर पूर्णता आ जाए।


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