वर्कशॉप के श्रमिकों को नहीं मिल रहा 'पीएफ'
लखीमपुर बिजली विभाग में बड़ी विडंबना है यहां कहीं नियमों का पालन हो रहा तो कहीं ठेकेदार अपने नियम श्रमिकों पर थोप रहे हैं। गढ़ी पावर हाउस स्थित बिजली विभाग के वर्कशॉप में ट्रांसफार्मरों की मरम्मत करने वाले 35 श्रमिक आज भी संविदा व्यवस्था का लाभ पाने से वंचित हैं। ठेकेदारों व अधिकारियों की मिलीभगत से न सिर्फ उनका शोषण हो रहा है बल्कि श्रमिकों के भुगतान में भी कटौती की जा रही है।
लखीमपुर : बिजली विभाग में बड़ी विडंबना है, यहां कहीं नियमों का पालन हो रहा तो कहीं ठेकेदार अपने नियम श्रमिकों पर थोप रहे हैं। गढ़ी पावर हाउस स्थित बिजली विभाग के वर्कशॉप में ट्रांसफार्मरों की मरम्मत करने वाले 35 श्रमिक आज भी संविदा व्यवस्था का लाभ पाने से वंचित हैं। ठेकेदारों व अधिकारियों की मिलीभगत से न सिर्फ उनका शोषण हो रहा है बल्कि श्रमिकों के भुगतान में भी कटौती की जा रही है।
मौजूदा समय में बिजली विभाग की पूरी व्यवस्था प्राइवेट श्रमिकों के सहारे चल रही है। वितरण खंड में पावर हाउसों के संचालन से लेकर बिजली लाइनों को दुरुस्त करने तक का कार्य श्रमिकों के जिम्मे है। एक साल पहले तक वितरण खंड में संविदा नियमों को नहीं लागू किया गया था लेकिन, एक जून 2018 के बाद से सभी श्रमिकों को संविदाकर्मी का दर्जा दिया गया और हर माह उनका पीएफ कटने लगा। गढ़ी रोड पर पावर हाउस और वर्कशॉप एक ही परिसर में है लेकिन, यहां श्रमिकों के साथ अलग-अलग नियम कानून लागू किए गए हैं। वर्कशॉप के करीब 35 श्रमिकों का पीएफ नहीं कटता है और न ही उन्हें शासन ने संविदाकर्मियों के लिए अनुमन्य मानदेय ही मिलता है। हैरत की बात ये है कि बिजली अधिकारी इसे कार्यदायी संस्था का उत्तरदायित्व बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं और संविदाकर्मियों को आवाज उठाने पर कार्य से हटा देने का दबाव बनाया जाता है।
जिम्मेदार की सुनिए
वर्कशॉप के जेई विश्वकर्मा शर्मा कहते हैं कि वर्कशॉप में चार अलग-अलग कार्यदायी संस्थाएं कार्य कर रही हैं। श्रमिक कार्यदाई संस्थाओं के बैनर तले कार्य करते हैं। ठेकेदारों को ट्रांसफार्मर दुरुस्त करने कर टारगेट दिया जाता है। जितने ट्रांसफर वह मरम्मत करते हैं, वर्कशॉप से उतने का भुगतान कर दिया जाता है। श्रमिकों को उनका अधिकार देना कार्यदायी संस्थाओं का काम है।
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