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जंगल में घुसपैठ रोकने को ग्रामीणों को जागरूक कर रहा पार्क प्रशासन

दुधवा पार्क से कटरुआ व धरती के फूल बीनने को लेकर पार्क प्रशासन ने कई लोगों को अवैध घुसपैठ के मामले में केस दर्ज करके जेल भेज दिया है या उन्हे भारी जुर्माने से दंडित किया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 10:17 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 10:17 PM (IST)
जंगल में घुसपैठ रोकने को ग्रामीणों को जागरूक कर रहा पार्क प्रशासन
जंगल में घुसपैठ रोकने को ग्रामीणों को जागरूक कर रहा पार्क प्रशासन

लखीमपुर : दुधवा टाइगर रिजर्व में अवैध घुसपैठ रोकने के लिए पार्क प्रशासन ने ग्रामीणों को सचेत करने का भी काम शुरू किया है। जिससे ग्रामीण जंगल में न जाएं और अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। इसके तहत गांव में बाकायदा चौकीदार के माध्यम से लोगों को आवाज लगाकर बताया जा रहा है कि जंगल में बिना अनुमति न जाय नहीं तो कार्रवाई की जद में आ जाएंगे।

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दुधवा पार्क से कटरुआ व धरती के फूल बीनने को लेकर पार्क प्रशासन ने कई लोगों को अवैध घुसपैठ के मामले में केस दर्ज करके जेल भेज दिया है या उन्हे भारी जुर्माने से दंडित किया है। इसको लेकर विधायक रोमी साहनी व पार्क के उपनिदेशक के बीच तनातनी भी बनी हुई है। पार्क प्रशासन ने ग्रामीणों का जंगल में अवैध प्रवेश रोकने के लिए उन्हे जागरूक करने की मुहिम शुरू की है। वन विभाग गांव को चौकीदारों के माध्यम से हर एक गांव में आवाज लगवा कर मुनादी करवा रहा है कि ग्रामीण अकारण जंगल में न जाएं अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। गांव में इस तरह की सूचना देकर वन विभाग ग्रामीणों का जंगल में अवैध प्रवेश रोकना चाह रहा है।

इधर फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक के आने के बाद वन विभाग के जो कर्मचारी गश्त पर निकलना अपनी तौहीन समझते थे वे अब दुधवा की सड़कों व कच्चे रास्तों पर मानसून गश्त कर रहे हैं। यह बदलाव एफडी संजय पाठक के निर्देश और डिप्टी डायरेक्टर की कार्यशैली की वजह से आ रहा है। वर्तमान फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक पहले यहां उपनिदेशक रह चुके हैं और उनके साथ गौरीफंटा मंडी हटवाने की सफलता जुड़ी हुई है। ऐसे में एफडी व डीडी से लोगों को एक उम्मीद जगी है कि अब दुधवा के बेहतरी के प्रयास और तेजी से होंगे।

क्या कहते हैं अधिकारी

पार्क के उपनिदेशक मनोज सोनकर का कहना है कि जंगल में अवैध प्रवेश को रोकने के लिए हमेशा से प्रयास किया जाता रहा है। आसपास के गांवों में चौकीदारों द्वारा आवाज देकर ग्रामीणों को सचेत करने को इसी कड़ी का एक हिस्सा कहा जा सकता है।

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