जंगल की जमीन को मुक्त कराने से बच रहे अफसर
पिछले दिनों यह मामला कई जिला स्तरीय बैठकों में उठ चुका है। कुछ दिन पहले जिले के दौरे पर आए प्रमुख सचिव डॉ. रजनीश दुबे ने इस मामले में अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी और समीक्षा रिपोर्ट में एसडीएम निघासन से स्पष्टीकरण भी मांगा था। हाल में ही दो अगस्त को इन बिदुओं को लेकर फिर जिला स्तरीय समिति की बैठक हुई लेकिन प्रगति शून्य रही। वहीं बफरजोन के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल कुमार पटेल का कहना है कि प्रशासन से बैठकों और पत्रों के माध्यम से वार्ता चल रही है।
लखीमपुर: निघासन रेंज के बथुआ गांव में दस्तावेजों के जंजाल में 59 साल से फंसी जंगल की 100 एकड़ जमीन मुक्त कराने से राजस्व विभाग के अधिकारी बच रहे हैं। तमाम अधिकारियों के निर्देश के बावजूद निघासन तहसील के अधिकारियों को वनभूमि की परवाह नहीं रह गई है। जिला स्तरीय बैठकों में अधिकारी सिर्फ इतना ही कह रहे हैं कि खतौनी में दोहरी प्रवृष्टि को खारिज करने की प्रक्रिया चल रही है लेकिन, यह प्रक्रिया कब पूरी होगी, इसे लेकर अधिकारी संजीदा नहीं हैं। इधर, वन विभाग अब पूरे मामले को बेहद गंभीरता के साथ डीएम और विभागीय उच्चाधिकारियों के सामने उठाने की तैयारी कर रहा है।
दस्तावेजों के मुताबिक 30 नवंबर 1960 को गाटा संख्या 697 में 542.120 हेक्टेयर भूमि को वन विभाग का आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था लेकिन, अभिलेखों में राजस्व विभाग की चूक के कारण जिन लोगों के नाम दर्ज थे, वह भी खतौनी में दर्ज चले आ रहे हैं। बथुआ गांव में 100 एकड़ जमीन का प्रवृष्टि वन विभाग और समरवीर सिंह के नाम से दर्ज चली आ रही है। निघासन तहसील के कर्मियों और अधिकारियों की जानकारी के बावजूद वर्ष 2017 में इस जमीन का कई लोगों के नाम दाखिल-खारिज भी होता रहा। पिछले दिनों यह मामला कई जिला स्तरीय बैठकों में उठ चुका है। कुछ दिन पहले जिले के दौरे पर आए प्रमुख सचिव डॉ. रजनीश दुबे ने इस मामले में अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी और समीक्षा रिपोर्ट में एसडीएम निघासन से स्पष्टीकरण भी मांगा था। हाल में ही दो अगस्त को इन बिदुओं को लेकर फिर जिला स्तरीय समिति की बैठक हुई लेकिन, प्रगति शून्य रही। वहीं बफरजोन के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल कुमार पटेल का कहना है कि प्रशासन से बैठकों और पत्रों के माध्यम से वार्ता चल रही है। निघासन तहसील को दोहरी प्रवृष्टि खारिज करनी है जिसमें देरी हो रही है।
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