नई शिक्षा नीति से मिलेगा हिदी भाषा को नया जीवन
नई शिक्षा नीति में शासन द्वारा लिए गए निर्णय के तहत कक्षा पांच तक मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषा को पढ़ाया जाएगा। विद्वानों का कहना है कि इससे हिदी भाषा को एक नया जीवन मिलेगा।
लखीमपुर : नई शिक्षा नीति में शासन द्वारा लिए गए निर्णय के तहत कक्षा पांच तक मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषा को पढ़ाया जाएगा। विद्वानों का कहना है कि इससे हिदी भाषा को एक नया जीवन मिलेगा।
भगवानदीन आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की प्राचार्य एवं संस्कृत की प्रोफेसर डॉ. सुरचना त्रिवेदी का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा में बुनियादी शिक्षा प्रदान किए जाने का विचार सराहनीय है। हिदी की प्रोफेसर डॉ. बीना रानी गुप्ता का कहना है कि मातृभाषा प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। व्यक्ति अपनी मातृभाषा में अपनी वास्तविक भावनाओं को व्यक्त कर सकता है। वाईडी कॉलेज के हिदी के प्रोफेसर डॉ. एसके दुबे का कहना है कि इससे हिदी भाषा को नया जीवन मिलेगा, क्षेत्रीय भाषा भी महत्वपूर्ण है। बदलते दौर में जहां अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य बढ़ा है, वहीं कक्षा पांच तक हिदी पढ़ाए जाने से अपनी गौरवशाली भाषा का मान बढ़ेगा। राजकीय इंटर कॉलेज के हिदी के शिक्षक डॉ. अनिल त्रिपाठी का कहना है कि हिदी में नवाचार जिसमें सुलेख, श्रुतलेख, शुद्ध उच्चारण, नए अभिनव प्रयोग से प्राथमिक शिक्षा के बच्चे अवगत होंगे। इसे सरल और रुचिकर बनाकर विद्यार्थियों को पढ़ाया जाए तो और बेहतर होगा। यहां होती है संस्कृत में बातचीत
संस्कृत भाषा किसी भी भाषा के विकल्प के रूप में नहीं अपितु, समस्त भाषाओं की पूरक है। हिदी, उर्दू, बांग्ला, तमिल तेलुगु आदि सभी भारतीय भाषाओं के साथ-साथ सभी विदेशी भाषाओं को भी समृद्ध करने वाली संस्कृत ही है। इसीलिए हमारा पूरा परिवार संस्कृत में ही वार्तालाप करता है। ये कहना है शहर के संस्कृत भाषा के विद्वान डॉ. ओमकार नारायण मिश्र का। शुद्ध हिदी ही है परिवार की बातचीत का आधार
वर्ष 2010 में अपने बेहतर शिक्षण कार्यों के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित हिदी और संस्कृत के विद्वान डॉ. उमापति मिश्र कहते हैं कि हिदी के पास अपने शब्द हैं और वह अत्यंत समृद्ध शाली भाषा है। बातचीत के लिए वह किसी अन्य भाषा की परमुखापेक्षी नहीं है। उनका पूरा परिवार और वे गर्व के साथ हिदी बोलते हैं।