बेटे की वर्दी और शादी का सपना लिए ही अलविदा कह गए नक्षत्र
दीपेंद्र मिश्र धौरहरा (लखीमपुर) लहबड़ी गांव निवासी नक्षत्र सिंह ने तीन अप्रैल को छोटे बेटे
दीपेंद्र मिश्र, धौरहरा (लखीमपुर) : लहबड़ी गांव निवासी नक्षत्र सिंह ने तीन अप्रैल को छोटे बेटे की सगाई की थी। उनका यह बेटा मंदीप सिंह एसएसबी में चयनित हुआ था। बेटे का कहना था कि सगाई ट्रेनिग से लौटने के बाद करेंगे, लेकिन नक्षत्र सिंह ने बिना सगाई के जाने देने से साफ मना कर दिया था। सगाई के बाद मंदीप ट्रेनिग के लिए अल्मोड़ा चला गया। करीब 15 दिन बाद उसे लौटना था तब शादी की तारीख तय होती। इस बीच होनी ने अनहोनी रच दी। रविवार को निघासन तहसील के तिकुनिया में किसान आंदोलन के दौरान हुई अराजकता का शिकार नक्षत्र सिंह भी हो गए। पिता के शव के पास फफकता एसएसबी जवान मंदीप बताता है कि कई बार कहने के बावजूद उसने पिता को अपनी वर्दी वाली फोटो नहीं भेजी थी। सोचा था वर्दी में सामने जाकर उन्हें सरप्राइज दूंगा लेकिन, पिता जी ऐसा सरप्राइज दे जाएंगे, सोचा न था। आज नक्षत्र सिंह का पार्थिव शरीर उनके घर के सामने ही खेत में रखा था। आसपास सैकड़ों की भीड़ जमा थी जो उनके सामाजिक और मिलनसार व्यक्तित्व को बयां करने के लिए काफी थी। परिवारजन बताते हैं कि उनका किसान आंदोलन में जाने का कोई इरादा नहीं था। वह अपनी खेती के काम को हमेशा पहली प्राथमिकता देते थे। रविवार को उनके खेत की पिपरमिट काटी जानी थी। इसी बीच गांव से कुछ युवक तिकुनिया आंदोलन में जाने को तैयार हो गए। उनके साथ नक्षत्र सिंह का बड़ा बेटा भी जा रहा था। जाने क्या हुआ उन्होंने पिपरमिट काटने का काम रोक दिया। बड़े बेटे को जाने से रोककर उसे दूसरी जिम्मेदारी सौंपी और खुद चले गए। फिर वह नहीं, उनका पार्थिव शरीर लौटा। उनके साथ गए युवक बताते हैं कि वह लोग वहां से वापस निकल रहे थे। नक्षत्र सिंह भी उठकर अपनी मोटरसाइकिल लेने चल दिए। तभी पीछे से गाड़ी ने जोरदार ठोकर मार दी। यही वो पल था जब नक्षत्र सिंह बेटे की शादी और उसे सशस्त्र सुरक्षा बल की वर्दी में देखने का सपना लिए दुनिया छोड़ गए। वहीं इस मौके पर सपा नेता अनुराग पटेल व वरुण चौधरी भी मौजूद रहे।
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अंत्येष्टि होने तक तनाव में रहे अफसर
रामनगर लहबड़ी गांव में दूर तक फैले खेतों के बीच नक्षत्र सिंह के घर पर मंगलवार सुबह से ही भीड़ जुटी थी। मातम के माहौल को बार-बार महिलाओं के बिलखने की आवाज चीर जाती थी। परिवार के लोग उन्हें ढाढस बंधा रहे थे। कमिश्नर राजीव रंजन, आइजी लक्ष्मी सिंह, एएसपी अरुण कुमार सिंह, एडीएम, एसडीएम इला प्रकाश के साथ बड़ी संख्या में फोर्स भी मौके पर डटा था। गांव की तरफ मुड़ने वाले रास्ते पर बैरियर लगाकर पुलिसकर्मी मुस्तैद थे। चप्पे-चप्पे पर नजर रखे अधिकारी परिवारजन के साथ घुलने और उन्हें समझाने की भी कोशिश में थे। अंत्येष्टि में हो रही देरी ने अधिकारियों के माथे पर चिता की लकीरें खींच रखी थीं। पंजाब से रिश्तेदार आ चुके थे जिनका इंतजार रात से था। अब किसी और को आना था। आइजी और कमिश्नर टोह ले रहे थे कि माजरा क्या है। दो बजे के आस पास पारिवारिक मुखिया के पास किसी का फोन आया तो जैसे यह ग्रीन सिग्नल था। ढाई बजे अंत्येष्टि हुई तो अफसरों की जान में जान आई।
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भीड़ न बढ़े इसलिए भ्रमित करती रही पुलिस
नक्षत्र सिंह के घर पर आस पास गांवों से पहुंच रहे लोगों की भीड़ ने भी प्रशासन की चिता खूब बढ़ाई। ज्यादा लोगों का जमाव न हो इसलिए घर की तरफ जाने वाले रास्ते पर तैनात पुलिसकर्मियों ने नया तरीका अपनाया। उन्होंने आने वाले लोगों को रोककर कहना शुरू कर दिया कि अंत्येष्टि हो गई। इसका असर भी पड़ा, बहुत से लोग रास्ते से लौट गए लेकिन, जो किसी तरह घर पर मौजूद लोगों के संपर्क में थे, वह रास्ता बदलकर घर तक पहुंच ही गए।