आंगनबाड़ी केंद्रों पर गठित होंगी मातृ समितियां
एवं स्वास्थ्य शिक्षा, पोषण अभियान आदि के बारे में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान समितियां देंगी। इसके अलावा सप्ताह के हर सोमवार को मातृ समिति के सदस्य एक साथ उपस्थित होकर आपस में आंगनबाड़ी केंद्रों की गतिविधियों से संबंधित विचार-विमर्श करेंगे ताकि यह समितियां अधिक सक्रिय रूप से अपना योगदान दे सकें। मुख्य सेविका द्वारा हर तीसरे माह में मातृ समिति की बैठक आंगनबाड़ी केंद्र पर अवश्य की जाएगी। ज्ञात हो कि प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह माह से छह वर्ष आयु के बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं और 11 से 14 वर्ष आयु की किशोरियों को अनुपूरक पुष्टाहार सहित छह प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसमें अनुपूरक पुष्टाहार, स्वास्थ्य प्रतिरक्षण (टीकाकरण), स्वास्थ्य जांच, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा, स्कूल पूर्व शिक्षा और निर्देशन व संदर्भन की सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
विकास सहाय, लखीमपुर : शिशुओं, गर्भवती, धात्री महिलाओं और किशोरियों के पोषण में सुधार एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य के मानकों को पूरा करने के उद्देश्य से संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर मातृ समितियों के गठन का निर्देश सरकार ने दिया है। समिति में उन्हीं महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनके बच्चे उस आंगनबाड़ी केंद्र पर पंजीकृत हैं। समिति में सामान्यत: सात से 12 सदस्य होंगे। अनुपूरक पोषाहार की नियमित उपलब्धता एवं समुचित वितरण व्यवस्था में भी यह समितियां सहयोग करेंगी।
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की प्रमुख सचिव मोनिका एस गर्ग ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को पत्र भेजकर 28 फरवरी तक पूरी तरह से मातृ समितियों के गठन का निर्देश दिया है। समिति में केवल महिलाओं को ही नामित किया जाएगा। इसमें बच्चों की दादी या नानी को भी नामित किया जा सकता है। एक महिला सदस्य ऐसी अवश्य नामित की जाएगी जो कि ग्राम सभा की सदस्य हो। सामाजिक कार्यों के प्रति सजग और सक्रिय सदस्यों को ही समिति में रखा जाएगा। ग्राम के सभी वर्गों और समूहों का प्रतिनिधित्व भी होगा। समिति के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन हर साल गांव में प्रधान की मौजूदगी में राजस्व अधिकारियों के सहयोग से मुख्य सेविका द्वारा किया जाएगा। मातृ समिति के सदस्यों का प्रमुख दायित्व होगा कि आंगनबाड़ी केंद्र नियमित रूप से खुलें और नियमित रूप से पोषाहार का वितरण हो। पोषाहार के स्टाक की चे¨कग और सत्यापन का काम भी समितियां करेंगी। सुपोषण स्वास्थ्य मेलों के सफल आयोजन, लाभार्थियों का मेलों में मोबिलाइजेशन और इसके जरिये दी जा रहीं सेवाओं के प्रति समुदाय में जागरूकता का काम भी समितियां करेंगी। बचपन दिवस, लाड़ली दिवस, ममता दिवस, अन्नप्राशन दिवस, गोदभराई दिवस, किशोर दिवस और सुपोषण दिवस के आयोजनों में भी समितियों का सहयोग लिया जाएगा। आंगनबाड़ी केंद्रों पर चलाए जा रहे अन्य कार्यक्रम जैसे-टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, प्री-स्कूल कार्यक्रम, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा, पोषण अभियान आदि के बारे में भी अपना योगदान समितियां देंगी। सप्ताह के हर सोमवार को मातृ समिति के सदस्य एक साथ उपस्थित होकर आपस में आंगनबाड़ी केंद्रों की गतिविधियों से संबंधित विचार-विमर्श करेंगे ताकि यह समितियां अधिक सक्रिय रूप से अपना योगदान दे सकें। मुख्य सेविका द्वारा हर तीसरे माह में मातृ समिति की बैठक आंगनबाड़ी केंद्र पर अवश्य की जाएगी।