बकरी के लालच में पिजड़े में कैद हुआ तेंदुआ
संवादसूत्र ईसानगर (लखीमपुर) धौरहरा रेंज में एक महीने से दहशत का पर्याय बना तेंदुआ आखिरकार वन विभाग के जाल में फंस गया। पिजड़े में बंधी बकरी के लालच में जैसे ही वह अंदर दाखिल हुआ उसे कैद कर लिया गया।
लखीमपुर: धौरहरा रेंज में एक महीने से दहशत का पर्याय बना तेंदुआ आखिरकार वन विभाग के जाल में फंस गया। पिजड़े में बंधी बकरी के लालच में जैसे ही वह अंदर दाखिल हुआ, उसे कैद कर लिया गया। वन विभाग ने उसे दुधवा नेशनल पार्क के जंगलों में छोड़ा है।
रेंज के बेलागढ़ी, कैरातीपुरवा, ओझापुरवा सहित कई गांवों के पास गन्ने के खेतों में एक महीने से तेंदुआ ठिकाना बनाए हुए था। एक सप्ताह पहले ही तेंदुए ने बेलागढ़ी के मजरा टेढ़ीगौढ़ी निवासी 13 वर्षीय मनोज पुत्र राजाराम को निवाला बना लिया था। इसके बाद डब्ल्यूटीआइ द्वारा यहां कैमरा लगवाकर तेंदुए की लोकेशन ट्रेस की गई, उसके बाद पिजरा रखवा दिया था। वन विभाग द्वारा गठित टीम में रेंजर अनिल शाह, वन दरोगा रिषभ प्रताप सिंह, सत्य प्रकाश, अशफाक खां, सतीश चंद्र मिश्रा ने उसी स्थान पर पिंजड़ा लगवाया जहां तेंदुए ने मनोज को निवाला बनाया था। सोमवार की रात करीब 11 बजे तेंदुआ पिजड़े के पास पहुंचा और बंधी बकरी के शिकार के लिए झपटा। जैसे ही तेंदुआ पिजड़े के अंदर घुसा, उसे कैद कर लिया गया। इसके बाद तेंदुए के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए दुधवा से डॉ. दया, डॉ. साकेत यादव, डॉ. दक्ष को बुलाया गया। परीक्षण में पता चला कि तेंदुआ पूरी तरह से व्यस्क हो चुका है। अधिकारियों ने तेंदुए को दुधवा के जंगलों में छोड़ दिया।
दो दिन पहले ही हो जाता कैद
जद्दोजहद कर रहे वन विभाग को तेंदुआ रविवार को गच्चा देकर निकल गया था। नदी किनारे लगाए गए पिजड़े में तेंदुए को पकड़ने के लिए बकरा बांधा गया था। रात में तेंदुआ पिजड़े में घुसा लेकिन, पिजड़े क फाटक नहीं गिरा और बकरे को खाकर तेंदुआ चला गया।
मार दो बेटे के हत्यारे को
तेंदुए के पकड़े जाने के बाद एक बार फिर राजाराम के घर कोहराम मच गया। पिता राजाराम घटना के बाद प्रतिदिन बदहवास होकर तेंदुए की तलाश निकल पड़ता था। उसे अपनी मौत का भी डर नहीं था। ग्रामीणों के मुताबिक मनोज की मां राजरानी ने जब सुना कि मेरे पुत्र को शिकार बनाने वाले तेंदुए को कैद कर लिया गया है तो वह तेज-तेज रोने लगी। बार बार चिल्ला चिल्लाकर कह रही थी कि मार दो मेरे बेटे के हत्यारे को लेकिन, लोग उसे कानून का दायरा समझा कर शांत करा देते थे।