गंदगी में लोटते सुअर दे रहे दिमागी बुखार की बीमारी को बढ़ावा
लखीमपुर दिमागी बुखार यानी जापानी इंसेफ्लाइटिस की बीमारी से बीते वर्षों में यहां कई लोग पीड़ित हुए हैं तो कइयों की जान भी चली गई पर इस गंभीर बीमारी से बचाव के यहां कोई प्रयास नहीं दिखते हैं।
लखीमपुर : दिमागी बुखार यानी जापानी इंसेफ्लाइटिस की बीमारी से बीते वर्षों में यहां कई लोग पीड़ित हुए हैं, तो कइयों की जान भी चली गई, पर इस गंभीर बीमारी से बचाव के यहां कोई प्रयास नहीं दिखते हैं। शहर के कई मुहल्लों में गंदगी में लोटते सुअर, खाली पड़े प्लाटों में लगे कूड़े के ढेर व गंदे जलभराव में पनपते मच्छर कभी भी गंभीर संक्रामक रोगों का कारण बन सकते हैं, पर जिम्मेदार हैं कि चेत नहीं रहे हैं।
शहर के मुहल्ला निर्मलनगर, रामनगर कॉलोनी, गुटैय्याबाग, गंगोत्रीनगर, दुर्बल आश्रम, अर्जुनपुरवा, हाथीपुर व संकटा देवी, शिवपुरी समेत कई मुहल्लों व शहर से सटे ग्राम सैधरी और राजापुर में गंदगी से पटी पड़ी नालियां, प्लाटों में गंदा जलभराव व कूड़े के ढेर गंभीर संक्रामक रोगों के मंडरा रहे खतरे को बता रहे हैं।
कैसे फैलता है दिमागी बुखार, क्या हैं लक्षण
दिमागी बुखार की बीमारी ऐसे मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है, जिसने सुअर को भी काटा हो। चूंकि मादा क्यूलेक्स मच्छर गंदे ठहरे पानी में पनपते हैं और शहर में ऐसे ही गंदे जलभराव में सुअर लोटते रहते हैं। इस कारण यहां दिमागी बुखार की बीमारी फैलने का खतरा ज्यादा है। दिमागी बुखार की बीमारी होने पर तेज बुखार के साथ सिर दर्द, उल्टी आना, जी मिचलाना, शरीर में दर्द, बेहोशी चिड़चिड़ापन, असामान्य व्यवहार करना व दिमाग में सूजन होने के कारण झटके आना आदि लक्षण मरीज में दिखते हैं। इस गंभीर बीमार से बचाव के लिए मच्छरों से बचाव जरूरी है। इसके लिए अपने आसपास गंदे जलभराव को होने से रोकें। गंदगी न फैलने दें। साथ ही सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
पिछले तीन वर्ष के आंकड़े
वर्ष : 2016
बीमारी : ग्रसित : मृत्यु
जेई : 38 : 10
एईएस : 34 : 13
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वर्ष : 2017
बीमारी : ग्रसित : मृत्यु
जेई : 35 : 08
एईएस : 167 : 40
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वर्ष : 2018
बीमारी : ग्रसित : मृत्यु
जेई : 12 : 02
एईएस : 113 : 15