शारीरिक क्षमता को प्रभावित करता है फाइलेरिया
लखीमपुर : शारीरिक अंगों को प्रभावित करने वाला फाइलेरिया मच्छर जनित रोग है। यह किस तर
लखीमपुर : शारीरिक अंगों को प्रभावित करने वाला फाइलेरिया मच्छर जनित रोग है। यह किस तरह शरीर के अंगों को प्रभावित करता है। ¨लफेटिक संक्रमण से क्या-क्या नुकसान होते हैं। इस बारे में नोडल अधिकारी डॉ. अश्विनी कुमार बताते हैं कि फाइलेरिया शरीर के वह अंग जो नीचे की ओर होते हैं अथवा जो लटकने वाले अंग हैं, ज्यादातर उन्हें प्रभावित करता है। शुरुआती दौर में इन में सूजन और खुजली होना ही इसके विशेष लक्षण माने जाते हैं। डॉ. अश्वनी कुमार बताते हैं कि प्रदेश समेत 16 राज्य और पांच केंद्र शासित प्रदेशों में फाइलेरिया सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या बन चुका है। उन्होंने बताया कि मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से दूसरा कारण है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण ¨लफेटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो शारीरिक अंगों को यह प्रभावित करता है। जिससे उन में सूजन हो जाती है फाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे ¨लफोइडिमा( हाथीपांव) और हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) होने से पीड़ित को अक्सर शरीर में बोझ सहना पड़ता है। इससे उसकी आजीविका और काम करने की क्षमता धीरे-धीरे प्रभावित होने लगती है। हाथी पांव रोग होने पर उसे चलने में दिक्कत होती है। आवागमन में समस्या होने पर रोगी बार-बार एक ही जगह पड़ा रहना पसंद करता है। ऐसे रोगी को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता। लेकिन दवा द्वारा उसकी सूजन कम की जा सकती है। उन्होंने बताया कि ऐसे रोगी को लिटाकर उसका पैर सिर से ज्यादा ऊंचा करने पर पैर में सूजन कुछ समय के लिए घट जाती है।