एडवांस रकम देकर खाद्यान हड़पते हैं माफिया
लखीमपुर: अगर ये कहा जाए कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर पूरी तरह माफिया का कब्जा हो गया है तो ये गलत न
लखीमपुर: अगर ये कहा जाए कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर पूरी तरह माफिया का कब्जा हो गया है तो ये गलत नहीं होगा। क्योंकि राशन वितरण व्यवस्था में माफिया का दखल चरम पर है। राशन उठान से पूर्व नियत तिथि में कोटेदारों को हर हाल में राशन के लिए निर्धारित रकम जमा करनी होती है, चौंकाने वाली बात ये है कि ज्यादातर कोटेदारों को माफिया ही राशन का पैसा मुहैया कराते हैं और जब गोदामों से राशन का उठान होता है तो वहां सक्रिय माफिया के एजेंट रकम के बदले राशन ही हड़प लेते हैं। राशन में खेल का यह पूरा गोरखधंधा जिम्मेदारों की आपसी सहमति से होता है। खाद्यान के खेल में माफिया-कोटेदार का गठजोड़ वर्षों पुराना है लेकिन, हर डील में माफिया का पलड़ा ही मुनाफे में रहता है। विभागीय सूत्रों की मानें तो पहले माफिया कोटेदारों को तो पूरी रकम देता है लेकिन, खाद्यान वह सस्ते दाम पर ही लेता है। इस तरह चित भी और पट भी माफिया की ही रहती है। कई बार कोटेदार ब्याज पर रकम लेते हैं और खाद्यान भी उसी माफिया के सुपुर्द कर रकम लौटाने के साथ ही मुनाफा भी कमाते हैं। कोटेदार चाहते हैं पारदर्शी हो वितरण व्यवस्था
राशन की पूरी वितरण व्यवस्था बदहाल है, कोटेदार-माफिया का गठजोड़ हावी है लेकिन इनमें ऐसे तमाम कोटेदार भी हैं जो पूरी व्यवस्था पारदर्शी चाहते हैं। पलिया के कोटेदार शैलेंद्र ¨सह कहते हैं कि माफिया द्वारा दी गई रकम को वापस करने के लिए कई रास्ते हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि माफिया कई बार रकम के बदले खाद्यान भी हड़प लेते हैं। ¨सगाही के कोटेदार दिनेश ¨सह माफिया के दखल को नहीं मानते लेकिन कहते हैं कि वितरण व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। सत्यापन समय पर नहीं होता और अधिकारी भी दोहन करते हैं। इसके अलावा कई कोटेदारों ने भी पारदर्शी व्यवस्था की वकालत की लेकिन कमियां बताने से इंकार कर दिया।
फैक्ट फाइल
-15 तारीख तक वितरण करना होता है राशन
-16 से 20 तक अगले उठान के लिए पैसा जमा करना होता है
-23 से 30 तारीख तक गोदाम से राशन का होता है उठान
जिम्मेदार की सुनिए
डीएसअओ डीएन श्रीवास्तव कहते हैं कि अक्सर ऐसे मामले पकड़े जाते हैं जिसमें कोटेदार और माफिया का गठजोड़ होता है। कोटेदारों का यह पुराना रवैया रहा है लेकिन, अब इस पर शिकंजा कसा जा रहा है। शहरी क्षेत्र में 95 प्रतिशत लाभार्थी आधार से जोड़ दिए गए हैं। अब जल्द ही गांवों में भी यह व्यवस्था लागू करने जा रहे हैं। इससे राशन की कालाबाजारी पर रोक लगेगी।