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पुरविया बस्ती का नामोनिशान मिटने की कगार पर

ग्राम पुरविया बस्ती में मोहाना नदी की कटान रूपी तबाही लगातार जारी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 12:12 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 12:12 AM (IST)
पुरविया बस्ती का नामोनिशान मिटने की कगार पर

लखीमपुर : ग्राम पुरविया बस्ती में मोहाना नदी की कटान रूपी तबाही लगातार जारी है। इससे कटान पीड़ितों में त्राहि-त्राहि मची है। कटान पीड़ित अपना घर उजाड़ पलायन करने को विवश हैं। बचाव कार्य शुरू करने की बजाय सिचाई विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इससे कटान पीड़ितों में रोष बना हुआ है।

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बीते तीन दिनों से तिकुनिया क्षेत्र के ग्राम पुरविया बस्ती में मोहाना नदी ने कटान रूपी कहर बरपा रखा है। हरे भरे खेत लीलती हुई मोहाना नदी आबादी के अंदर घुस गई है। कटान के भय से पीड़ित परिवार अपना सामान समेटकर व घर उजाड़ पलायन करने को विवश हैं। विडंबना तो इस बात की है कि जिम्मेदार प्रशासन के लोग पूरी तरह उदासीन बने हुए हैं। कटान पीड़ित रामकली का पक्का मकान नदी के बिल्कुल करीब है, जो कि कटने की कगार पर है। कटान पीड़ित राजेश, राकेश, नौलक्खा आदि भी कटान के भय से अपना घर उजाड़ने को विवश हैं। बरसात से पहले सिचाई विभाग द्वारा कटान रोकने के लिए गांव के करीब मोहाना नदी पर परक्यूनपाइन स्टेट से बचाव कार्य किया था। इसकी पहले ही आशंका जताई जा रही थी कि यह बचाव कार्य सिर्फ दिखावा मात्र है। जिसे अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पूरी करने के नाम पर कर रहे हैं। इस बचाव कार्य को धराशाई कर मोहाना नदी आबादी के अंदर घुस गई है। ग्राम प्रधान पति चरणजीत सिंह ने बताया कि जल्द ही ठोस बचाव कार्य शुरू नहीं होता है तो गांव तो पूरी तरह नदी में बह ही जाएगा बल्कि और कई गांव भी मोहाना नदी की चपेट में आ जाएंगे। इस बाबत पूछे जाने पर सिचाई विभाग के जेई हरीश वर्मा ने बताया कि वह मौके पर पहुंचे हैं। जिससे उच्चाधिकारियों को अवगत कराएंगे। तत्काल राहत के नाम पर उन्होंने बताया कि अभी तत्काल राहत के नाम पर कोई भी बचाव कार्य शुरू होगा। जैसा उच्चाधिकारियों का निर्देश होगा वैसे ही किया जाएगा।

तिकुनिया में बाढ़ के पानी से तबाह हो रहीं फसलें मंगलवार को तिकुनिया के कई गांव में आई मोहाना नदी की बाढ़ के पानी ने दर्जनों एकड़ खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद कर दी हैं। इससे किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं। बाढ़ का पानी घटा जरूर है। निचले इलाकों में पड़ने वाले खेतों में अभी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है। जिन खेतों से बाढ़ का पानी गुजर गया वह खेत पूरे के पूरे तबाह हो गए हैं। नया पिड निवासी गुरमीत सिंह ने बताया कि बाढ़ का पानी गुजरने के बाद उनके खेत में खड़ी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। पानी के साथ आई बालू से पूरी की पूरी फसलें पट गई है। इसी प्रकार बाढ़ के पानी से ग्राम चौगुर्जी, इंद्रनगर, सूरतनगर, बनवीरपुर आदि की दर्जनों एकड़ खड़ी फसलें डूबी होने से बर्बाद हो रही है। हर वर्ष मोहाना नदी की बाढ़ का पानी किसानों की सैकड़ों एकड़ फसलें बर्बाद करता रहा है। इस बार भी ऐसा ही हुआ।

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बाढ़ से तबाह फसलें वन क्षेत्र में थी : लेखपाल

नया पिड गांव में बाढ़ के पानी से तबाह फसलें जिन खेतों में लगी थी वह वन क्षेत्र के अंतर्गत आती है यह कहना है लेखपाल संजय वर्मा का। उन्होंने बताया कि खतौनी में किसी का ग्रामीण का दर्ज ऐसा कोई भी खेत नहीं है जिसमें बाढ़ से कोई फसलें तबाह हुई हो। जो वन क्षेत्र में लोगों ने फसलें लगाई थी वही फसलें केवल बाढ़ से तबाह हुई हैं।


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