कई प्रदेशों में ख्याति बटोर रहा भीरा का लाल
जिले के कस्बा भीरा निवासी घनश्याम अग्रवाल के छोटे पुत्र मयंक अग्रवाल ने अपनी कला के जरिए पूरे भारत में पहचान बनाई व कस्बा भीरा का नाम रोशन कर रहे हैं।
लखीमपुर: जिले के कस्बा भीरा निवासी घनश्याम अग्रवाल के छोटे पुत्र मयंक अग्रवाल ने अपनी कला के जरिए पूरे भारत में पहचान बनाई व कस्बा भीरा का नाम रोशन कर रहे हैं। मयंक पेशे से फाइनेंस कंसल्टेंट हैं, लेकिन वे खुद को दिल से कलाकार बताते हैं। वह हरियाणा की गुरुग्राम में एक अमेरिकी कंपनी में काम कर रहे हैं। मयंक ने दसवीं तक की पढ़ाई पलियाकलां से की और फिर नैनीताल चले गए। उन्होंने अपना ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूरा किया। कॉलेज के दौरान से मयंक की रुचि कला में बढ़ती गई। मयंक की प्रतिभा की वजह से उन्हें मुंबई में होने वाले काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल से आमंत्रण मिला और उन्हें वहां आने वाले प्रतिभागियों को वर्कशाप देने को कहा गया। काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल एशिया के सबसे बड़े कला और साहित्य समारोह में से एक है। यह नौ दिवसीय उत्सव एक अंग्रेजी न्यू•ा पेपर के सहयोग से आयोजित किया जाता है और इसमें 500 से अधिक विभिन्न प्रकार के आयोजन होते हैं। मयंक की यह कार्यशाला मंडला आर्ट फॉर्म बनाने के बारे में थी। मंडला जटिल डिजाइनों के साथ पैटर्न का एक रूप है। माना जाता है कि मंडला आर्ट्र अपने आसपास से सकारात्मक ऊर्जा को खींचता है। जटिल डिजाइन के कारण यह कला लोगों को बहुत पसंद आती है। उन्होंने भारत के कई शहरों जैसे दिल्ली, जयपुर, लुधियाना, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु में आयोजित कार्यशालाओं में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अब तक 500 से अधिक लोगों को यह कला सिखाई है। वह कहते हैं कि इस कला के माध्यम से मन को परेशान करने वाली किसी भी चीज से उबरने में मदद मिलती है।