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बेमानी नहीं है आशंका, अपराधियों की सुरक्षित शरणस्थली रहे हैं तराई के जंगल

कानपुर कांड के आरोपित विकास दुबे की तलाश में बढ़ी सतर्कता। नेपाल जाने वाले वाहनों की सघन तलाशी के साथ पैदल गुजारे गए यात्री।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 10:48 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 10:48 PM (IST)
बेमानी नहीं है आशंका, अपराधियों की सुरक्षित शरणस्थली रहे हैं तराई के जंगल
बेमानी नहीं है आशंका, अपराधियों की सुरक्षित शरणस्थली रहे हैं तराई के जंगल

लखीमपुर : कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या करने के मुख्य आरोपित विकास दुबे के खीरी के रास्ते नेपाल भागने की आशंका को लेकर पिछले तीन दिनों से यहां हलचल है। ये हलचल और आशंका बेमानी नहीं है। दरअसल तराई के जंगल और जिले से लगी भारत-नेपाल सीमा का इलाका शातिर अपराधियों की सुरक्षित शरणस्थली रहा है। चाहे शातिर अपराधी डालू गुप्ता या उसका साथी एक लाख के इनामी रहे बग्गा सिंह हो या फिर अन्य कई बड़े अपराधी। ये सब तराई के जंगलों में न सिर्फ पनाह लेते रहे हैं, बल्कि इन्हीं जंगलों के रास्ते नेपाल भी भाग जाते रहे हैं। जिले में दुधवा टाइगर रिजर्व समेत मैलानी वन रेंज में साल के घने जंगल हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व 884 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। इसका बड़ा क्षेत्रफल भारत-नेपाल सीमा से सटा है। आतंकवाद से लेकर अपहरण का धंधा पनपा जंगलों में 80 के दशक का वो समय जब तराई इलाके में खलिस्तानी आतंकवाद चरम पर था, तो जिले के नेपाल सीमा से लगे इन्हीं घने जंगलों में उग्रवादी पनाह लेते थे। वर्ष 1988-89 में घने जंगल में स्थित राजनारायणपुर रेलवे क्रॉसिग के पास दुग्ध वाहन से जा रहे 12 लोगों की हत्या खालिस्तानी उग्रवादियों ने कर दी थी। जनवरी 2016 में थाना सिगाही क्षेत्र के कोल्हू व्यवसाई की तीन बेटियों का अपहरण करने वाले बदमाशों ने भी इन्हीं घने जंगलों में पनाह ली थी। 120 किमी लंबी है भारत-नेपाल सीमा तराई इलाके में खीरी जिले से लगी तकरीबन 120 किमी लंबी भारत-नेपाल की सीमा है। ये अंतरराष्ट्रीय सीमा नोमेंस लैंड के पिलर संख्या 98 बंदरिया बरसोला थाना तिकुनिया से शुरू होकर पिलर संख्या 211 खजुरिया थाना संपूर्णानगर में समाप्त होती है। भारत-नेपाल सीमा का अधिकांश क्षेत्र जंगल से सटा होने के कारण यहां तमाम ऐसे गुप्त रास्ते हें, जिनका फायदा अपराधी उठाते रहे हैं।

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जिम्मेदार की सुनिए एसपी पूनम का कहना है कि जिले में कई स्थानों पर घना जंगल और भारत-नेपाल की सीमा है। कानपुर कांड के आरोपित की धरपकड़ के लिए पूरी सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस सीमाई इलाके में कड़ी निगरानी कर रही है।

कानपुर कांड के आरोपित के नेपाल भागने को लेकर सतर्क रही पुलिस कानपुर कांड के आरोपित विकास दुबे के नेपाल भागने की संभावना को लेकर पुलिस दूसरे दिन भी सतर्क रही। बॉर्डर तक पहुंचने वाले सभी वाहनों की सघन तलाशी ली गई और उनके यात्रियों के आइकार्ड भी देखे गए। इतना ही नहीं पुलिस ने वाहनों में बैठे सभी यात्रियों को कुछ दूर पैदल चलाकर बॉर्डर के पार जाने दिया। इसके अलावा नेपाल जाने के गुप्त मार्ग पर भी निगरानी रखी गई। कानपुर में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने वाले विकास दुबे के नेपाल भागने की आशंका जताई गई है। इसको लेकर शासन ने बॉर्डर पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए थे। हालांकि बॉर्डर सील है और सामान्य तौर पर आवागमन बंद है लेकिन, मालवाहक वाहनों व भारत में रह रहे नेपालियों को कोरोना प्रभाव के चलते नेपाल जाने की इजाजत है। आरोपित इसका फायदा उठाकर नेपाल न भाग जाए इसलिए बॉर्डर काफी सतर्कता बरती जा रही है। शनिवार को भी बॉर्डर पर कड़ाई थी और रविवार को भी सुरक्षा एजेंसिया काफी सतर्क रहीं। बॉर्डर तक जाने वाले वाहनों को 100 मीटर पहले ही रोक लिया गया और वाहनों तथा उनमें बैठे यात्रियों की सघन तलाशी ली गई। इसके बाद सभी यात्रियों को वाहन से उतरकर पैदल चलकर बॉर्डर पार जाने दिया गया, जिससे कि सबकी पहचान हो सके।


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