समस्त पापों का क्षय करने वाला है निर्जला एकादशी व्रत
संवादसूत्र लखीमपुर निर्जला एकादशी का पर्व श्रद्धा के साथ मनाया गया। लोगों ने घरों पर निर्जल व्रत रख कर भगवान विष्णु की पूजा की तथा बाजार से मिट्टी के घड़े खरीद कर लोगों को दान किए। भगवान विष्णु की आराधना करके समस्त पापों से मुक्ति दिलाने वाला यह व्रत भक्तों ने श्रद्धा के साथ रखा।
लखीमपुर : निर्जला एकादशी का पर्व श्रद्धा के साथ मनाया गया। लोगों ने घरों पर निर्जल व्रत रख कर भगवान विष्णु की पूजा की तथा बाजार से मिट्टी के घड़े खरीद कर लोगों को दान किए। भगवान विष्णु की आराधना करके समस्त पापों से मुक्ति दिलाने वाला यह व्रत भक्तों ने श्रद्धा के साथ रखा। ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाने वाला यह व्रत समस्त पापों से मुक्ति दिलाता है। लॉकडाउन के कारण मंदिर इत्यादि तो बंद रहे लेकिन लोगों ने घरों पर पूजापाठ किया। पास पड़ोस के तीर्थों पर भी वहां रह रहे संतों ने पूजा पाठ करके भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और फूल अर्पित किए।
महर्षि वेदव्यास ने भीम को बताया था यह व्रत
यज्ञाचार्य स्वामी आनंद देव के बताते हैं कि पांडु पुत्र भीमसेन को महर्षि वेदव्यास से पूछने पर उन्होंने ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को उनके लिए श्रेष्ठ व्रत बताया था जो समस्त पापों का नाश करने वाला है। यदि कोई व्यक्ति पूरे वर्ष भर की एकादशी के व्रत नहीं कर सकता तो वह इस एक दिन की एकादशी का व्रत करके पापों से मुक्ति पा सकता है। इस मौके पर पंखे, घड़े, पीले वस्त्र इत्यादि दान करने के साथ पीपल के पेड़ में जल देने की भी मान्यता है।