कर बहिया बल आपनो, छोड़ पराई आस
ईसानगर में बटाई पर खेत लेकर फसल तैयार कर रहे प्रवासी मजदूर। गांव में अपने खेत में गुजारा करने के जज्बे के साथ अब खुशहाली की तरफ बढ़ रहे हैं।
लखीमपुर : कोरोना में राहत मिलने के बाद प्रवासी कामगार साथी मेहनत मजदूरी में जुट गए हैं। खेती किसानी के कामों में एक दूसरे का सहयोग कर अपनी खेती को संभाल रहे हैं। साथी हाथ बढ़ाना की तर्ज पर अपने गांव में अपने खेत में गुजारा करने के जज्बे के साथ अब खुशहाली की तरफ बढ़ रहे हैं।
ईसानगर क्षेत्र में सिर्फ एक मात्र चीनी मिल होने के कारण यहां रोजगार का कोई जरिया नहीं है। हजारों मध्यमवर्गीय किसान खेती से जीवन यापन संभव न देख बाहर की ओर पलायन करते हैं। लॉकडाउन के बाद उनकी समस्या और बढ़ गई। गांव में आने के बाद प्रवासी मजदूरों ने एक बार नए जोश के साथ फिर अपनी खेती में जुट गए हैं। अबकी बार बड़े किसानों के खेत बटाई पर लेकर फसल पैदा करने में जुट गए हैं। पंजाब से मजदूरी करके लौटे रामकुमार ने चार बीघे खेती बटाई पर बना ली। खाद बीज का इंतजाम खेत मालिक ने सहयोग के रूप में कर दिया। कई श्रमिक साथी एक-दूसरे का सहयोग कर खेती के काम को आगे बढ़ा रहे हैं। रामू, किशोरी, बहोरी, खेलावन सफीक, पगलू, ने किसानी के लिए भूमि बटाई पर ले रखी है। ये सब एक दूसरे के सहयोग से काम को आगे बढ़ा रहे हैं।