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प्रशिक्षण के बाद दुधवा पार्क का हिस्सा बने कर्नाटक से आए हाथी

हरीश श्रीवास्तव पलियाकलां (लखीमपुर) दुधवा टाइगर रिजर्व में हाथियों का विशेष महत्व है। जंगल सफारी और गैंडा परियोजना में मॉनीटरिग के लिए हाथियों का प्रयोग किया जाता है। कर्नाटक से आए 10 हाथियों को एक साल तक कड़ा प्रशिक्षण देने के बाद अब उन्हे दुधवा के हाथी परिवार में शामिल कर लिया गया है। यह हाथी दुधवा में होने वाले पर्यटन व अन्य गतिविधियों से जुड़ गए है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 09:49 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 09:49 PM (IST)
प्रशिक्षण के बाद दुधवा पार्क का हिस्सा बने कर्नाटक से आए हाथी
प्रशिक्षण के बाद दुधवा पार्क का हिस्सा बने कर्नाटक से आए हाथी

लखीमपुर: दुधवा टाइगर रिजर्व में हाथियों का विशेष महत्व है। जंगल सफारी और गैंडा परियोजना में मॉनीटरिग के लिए हाथियों का प्रयोग किया जाता है। कर्नाटक से आए 10 हाथियों को एक साल तक कड़ा प्रशिक्षण देने के बाद अब उन्हे दुधवा के हाथी परिवार में शामिल कर लिया गया है। यह हाथी दुधवा में होने वाले पर्यटन व अन्य गतिविधियों से जुड़ गए है।

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एक साल तक चला प्रशिक्षण

कर्नाटक से आए हाथियों के दल को कड़ा प्रशिक्षण दिया गया है। जिससे ये दुधवा के माहौल में रम सकें। इन्हें सैलानियों से घुलने मिलने के साथ किसी के सिर पर अपनी सूंड़ रखने और उसके सामने प्यार प्रदर्शित करना भी सिखाया गया है। अब उन्हें जंगल में सैलानियों को भ्रमण कराने, मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने में हिस्सा लेने के काम लगाया जाएगा।

भाषा की दिक्कत हो गई दूर

कर्नाटक से आए हाथियों के साथ भाषा समझने की बड़ी दिक्कत थी। वे महावतों द्वारा कन्नड़ भाषा में दिए गए निर्देश ही समझ पाते थे, लेकिन जब ये हाथी यूपी में आ गए तो उनको हिदी में सब बताया जाने लगा। यहां के महावत कन्नड़ नहीं जानते थे इसलिए हाथियों को कोई चीज समझने में खासी दिक्कत आ रही थी, लेकिन एक साल के कड़े परिश्रम से अब यह समस्या दूर हो गई है।

दुधवा का हाथी परिवार

दुधवा के हाथी परिवार में पवनकली, गजराज, मोहन, चमेली, सुलोचना, सुहेली, विनायक, पाखरी, सुंदर, मधु समेत कुल 11 हाथी हैं। कर्नाटक से आए 10 हाथियों के प्रशिक्षण पाकर दुधवा में जुड़ जाने से इनकी संख्या 21 हो गई है, लेकिन इसमें सुहेली व विनायक समेत पांच बच्चे हैं। तीन सब एडल्ट हैं और 13 हाथी सैलानियों को जंगल भ्रमण कराने से लेकर मॉनीटरिग के काम में लगाए जाने लायक हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

दुधवा नेशनल पार्क के उपनिदेशक महावीर कौजलगि कहते है कि कर्नाटक से आए हाथियों को प्रशिक्षण के बाद दुधवा के हाथी परिवार में शामिल कर लिया गया है पर उनपर अभी विशेष नजर रखी जा रही है।

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