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संसाधनों के अभाव में बिजली-व्यवस्था ध्वस्त

ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा ने एक दिन पहले खीरी जिले की बिजली व्यवस्था की समीक्षा की।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 10:31 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 10:31 PM (IST)
संसाधनों के अभाव में बिजली-व्यवस्था ध्वस्त
संसाधनों के अभाव में बिजली-व्यवस्था ध्वस्त

लखीमपुर: ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा ने एक दिन पहले खीरी जिले की बिजली व्यवस्था की समीक्षा की और यह निर्देश दिया कि लोगों को 24 घंटे बिजली सप्लाई दी जाए। ऊर्जामंत्री का यह निर्देश जमीन पर कितना खरा उतरेगा, इसकी दैनिक जागरण ने पड़ताल की तो सब ढोल में पोल नजर आया। जिले की बिजली व्यवस्था इस तरह जर्जर हो गई कि लोगों को 24 घंटे बिजली सप्लाई कर पाना बेहद मुश्किल है। संसाधनों के अभाव में हालात रोज बिगड़ते जा रहे हैं। बड़े उपकरणों के फुंकने पर सीतापुर, बहराइच, लखनऊ, बरेली या शाहजहांपुर जैसे जिलों का मुंह ताकना पड़ता है। अभियंता चाह कर भी 100 जर्जर लाइन नहीं बदलवा पा रहे हैं। फाल्ट आने पर जर्जर लाइनों को जोड़ने वाले संविदाकर्मियों के हाथों में दस्ताने तक नहीं हैं।

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वर्षों पुरानी जर्जर लाइनों को बदलने के लिए आरएपीडीआरपी, आईपीडीएस जैसी योजनाएं अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत की भेंट चढ़ गईं। जिसकी वजह से हिदायतनगर, पटेलनगर, राजाजीपुरम सहित सीमाई मुहल्लों में बिजली की केबिलें बांस-बल्लियों पर टिकी हैं। शहर के बीचोबीच संकटादेवी, मिश्राना, मेनरोड, अस्पताल रोड, मेला मैदान, गढ़ी रोड, निघासन रोड, हाथीपुर, अर्जुनपुरवा, बहादुरनगर, महराजनगर सहित मुहल्लों में जर्जर लाइनें आए दिन टूट रही हैं। जिम्मेदारों की लापरवाही ये कि तारों को टूटने से रोकने के लिए बांस की फंटिया तक नहीं बंधवाई हैं। शहर से 56 ट्रांसफार्मरों की क्षमतावृद्धि के लिए 56 ट्रांसफार्मरों का प्रस्ताव भेजा गया है। इनमें 22 ट्रांसफार्मरों को बदलना बेहद जरूरी है, लेकिन मुख्य अभियंता दफ्तर और मध्यांचल इन प्रस्तावों को दबाए बैठा है। हाईटेंशन लाइनों के बिजली खंभे जड़ से इस तरह गल गए हैं कि कभी भी बड़े हादसे हो सकते हैं। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि लोड बढ़ने पर जब 100 केवीए से ज्यादा क्षमता के ट्रांसफार्मर फुंकते हैं तो उन्हें रिपेयर करने के लिए वर्कशाप की क्षमता कम पड़ जा रही है। एकमात्र विकल्प लखनऊ भेजकर ही मरम्मत कराना ही है। तब तक मोबाइल ट्रांसफार्मर की उपलब्धता ही बिजली सप्लाई मिल पाती है। बिजली स्टोर का भी बेहद बुरा हाल है। अव्वल तो यहां उपकरण काफी कम आते हैं, जो अधिकारियों व ठेकेदारों को ही मिल पाता है। आम जनता के लिए उपकरण नहीं मिल पाते हैं। अधिशाषी अभियंता प्रदीप कुमार वर्मा कहते हैं कि शहरी क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों को पर्याप्त बिजली दी जा रही है। संसाधनों की कमी है, जिन्हें समय-समय पर पूरा किया जाता है।


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