इस बार कम मतदान प्रतिशत को लेकर तमाम तरह की अटकलों का दौर जारी
लखीमपुर धौरहरा लोकसभा में वर्ष 2014 की अपेक्षा इस बार कम मतदान प्रतिशत को लेकर तमाम तरह की अटकलों का दौर चल रहा है। लोग जहां इस कम हुए मतदान को परिवर्तन का संकेत बता रहे हैं वहीं प्रमुख दलों के प्रत्याशी इसे अपने-अपने पक्ष से जोड़कर देख रहे हैं।
लखीमपुर : धौरहरा लोकसभा में वर्ष 2014 की अपेक्षा इस बार कम मतदान प्रतिशत को लेकर तमाम तरह की अटकलों का दौर चल रहा है। लोग जहां इस कम हुए मतदान को परिवर्तन का संकेत बता रहे हैं वहीं प्रमुख दलों के प्रत्याशी इसे अपने-अपने पक्ष से जोड़कर देख रहे हैं।
वर्ष 2014 में धौरहरा लोकसभा सीट पर रिकार्ड 68 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था तथा भाजपा की रेखा वर्मा को एक तरफा जीत हासिल हुई थी। इस बार मतदान का प्रतिशत घटकर 64.7 रह गया। मतदान में लगभग चार प्रतिशत के आसपास दर्ज की गई गिरावट किस बात का संकेत है तथा इस घटे मत प्रतिशत का नतीजों पर क्या असर पड़ेगा इसे लेकर तमाम तरह की चर्चाएं व अटकलें क्षेत्र में नेताओं व आम जनता द्वारा लगाई जा रही हैं। बात करें राजनैतिक दलों की तो हर कोई इस घटे हुए मत प्रतिशत को अपने पक्ष से जोड़कर अपनी विजय का दावा करने में जुटा है। कांग्रेसी जहां इसे जितिन प्रसाद द्वारा पूर्व में किए गए विकास के कामों पर धौरहरा की जनता का समर्थन कांग्रेस के साथ होने का दावा कर रहे हैं वहीं सपा बसपा गठबंधन के लोग घटे मत प्रतिशत को सपा बसपा सरकार के कामों व अरशद सिद्दीकी के द्वारा क्षेत्र में जनसंपर्क का परिणाम बता रहे हैं तथा इस मत प्रतिशत के आधार पर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। भाजपा के लोग मत प्रतिशत को मोदी लहर के रूप में ले रहे हैं तथा अपनी जीत का संकेत बता रहे हैं। प्रत्येक राजनैतिक दल इसे अपने-अपने पक्ष से जोड़ने में लगा हुआ है वहीं आम जन भी इस घटे हुए मत प्रतिशत को लेकर चर्चाओं से दूर नहीं है आम जनता की चर्चा में भी घटे मतदान को परिवर्तन का संकेत मानने वालों की कमी नहीं है। चाय, पान की दुकानों व होटलों पर लोग चुनावों के बारे में तरह तरह की चर्चा करते देखे जा सकते हैं। अब यह घटा हुआ मत प्रतिशत किसी प्रत्याशी विशेष के पक्ष में है या किसी परिवर्तन का संकेत यह 23 मई को होने वाली मतगणना के बाद ही पता चलेगा।
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