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सड़कों पर बेसहारा पशुओं का जाम, लचर हैं निजाम के इंतजाम

लखीमपुर सड़कों पर घूमने वाले बेसहरा पशुओं को सुरक्षित रखने व सड़कों पर उनकी चहलकदमी रोकने के लिए कहने को तो तमाम कवायदें की गई लेकिन हर गुजरते दिन के साथ ही ये इंतजाम बदतर होते चले गए। शहर की सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु शासन-प्रशासन के इंतजामों की पोल खोल रहे हैं। जहां इन गाय और सांड़ को सुरक्षित यातायात के चलते गोशालाओं में पहुंचाने का काम करना था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 10:56 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 10:56 PM (IST)
सड़कों पर बेसहारा पशुओं का जाम, लचर हैं निजाम के इंतजाम
सड़कों पर बेसहारा पशुओं का जाम, लचर हैं निजाम के इंतजाम

लखीमपुर : सड़कों पर घूमने वाले बेसहरा पशुओं को सुरक्षित रखने व सड़कों पर उनकी चहलकदमी रोकने के लिए कहने को तो तमाम कवायदें की गई लेकिन हर गुजरते दिन के साथ ही ये इंतजाम बदतर होते चले गए। शहर की सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु शासन-प्रशासन के इंतजामों की पोल खोल रहे हैं। जहां इन गाय और सांड़ को सुरक्षित यातायात के चलते गोशालाओं में पहुंचाने का काम करना था। वहीं के झुंड के झुंड सड़कों के किनारे कचरे के ढेर में मुंह मारते देखे जा सकते हैं। ऐसा नहीं कि जिला प्रशासन या नगर पालिका परिषद ने इन गायों को गौशाला भेजने के प्रयास नहीं किए, सब कुछ हुआ। लेकिन इन सब के बावजूद सड़क पर घूम रहे गोवंश कम नहीं हो सके। चंद रोज पहले ही शहर में करीब दो गाय पॉलीथिन खाकर मर चुकी हैं लेकिन गोवंश को बचाने के लिए पुख्ता तौर पर कोई काम नहीं किया गया। शहर का ओवरब्रिज हो या संकटा देवी रोड मेन रोड हो या बस स्टेशन रोड हर जगह गोवंश का सड़कों पर डेरा न केवल यातायात जाम कर रहा है बल्कि कई बार तो हादसों का सबब भी बन रहा है।

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यहां तो दिन भर घूमते हैं बेसहारा पशु

शहर का सौजन्या चौक हो या विकास भवन के पास वाला डलाव घर, आर्य कन्या डिग्री कॉलेज के पीछे सब्जी मंडी का क्षेत्र हो या ओवर ब्रिज। कहीं भी यह गोवंश आपको बेसहारा घूमते हुए दिखाई दे जाएंगे। कई बार तो फल-सब्जी वाले का जब यह गोवंश नुकसान कर देते हैं, तो उनके कोप का भाजन भी बनना पड़ता है। शहर का शायद ही कोई मुहल्ला हो जहां यह गलियों में न घूमते दिखाई दें। शासन तंत्र ने गायों के संरक्षण के लिए जिस गर्मजोशी के साथ वादे किए थे, उसका जमीन सच कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा।

नगर पालिका ने बनवाई है दो गोशालाएं

शहर के नगर पालिका क्षेत्र की बात करें तो 28 स्थाई गौशाला में बनवाई गई हैं। जिसमें पहली गौशाला तो कलेक्ट्रेट के पास पानी की टंकी के नीचे बनी है। जहां 4 से 6 गोवंश शहर से पकड़कर बंद किए गए हैं। इसमें सांड़ और गाय दोनों हैं। दूसरी गौशाला जिला मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर दूर खंभारखेड़ा में है। यह भी अस्थाई गोशाला है, लेकिन यहां पर गायों सालों को रखने के लिए क्षमता ज्यादा है लगभग 60 गोवंश यहां पर मौजूद है। जिनके खाने रहने का पूरा प्रबंध नगर पालिका परिषद के द्वारा किया गया है।


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