कैसे उठे जिले में शिक्षा का स्तर ऊंचा जब सरकारी स्कूल ही नहीं
जिला मुख्यालय पर शिक्षा के क्षेत्र में कहीं न कहीं या कभी आज भी मशहूर की जाती है। कहने को शहर में बड़े-बड़े कान्वेंट स्कूल हैं लेकिन यह सब निजी संस्थान के रूप में चल रहे हैं।
लखीमपुर : कैसे बढ़े जिले में शिक्षा का स्तर पर जब सरकारी तौर पर शहर में कोई भी इंटर कॉलेज या डिग्री कॉलेज ही नहीं है। ऐसे में निजी इंटर कॉलेजों में प्रवेश लेना और महंगी फीस विद्यार्थियों तथा अभिभावकों की मजबूरी है। शहर में लंबे अरसे से लोकसभा विधानसभा में जीतकर पहुंचने वाले जनप्रतिनिधियों ने भी इस पर अपनी नजर सानी करना जरूरी नहीं समझा। इसके चलते जिला मुख्यालय पर शिक्षा के क्षेत्र में कहीं न कहीं या कभी आज भी मशहूर की जाती है। कहने को शहर में बड़े-बड़े कान्वेंट स्कूल हैं, लेकिन यह सब निजी संस्थान के रूप में चल रहे हैं। अगर सरकारी संस्थानों की बात करें तो 1913 में राजकीय कन्या इंटर कॉलेज और 1914 में शहर का राजकीय इंटर कॉलेज है। 113 और 114 वर्ष पुराने इन इंटर कॉलेजों के भवन भी अब जर्जर हो चुके हैं। पुराने मानक के तौर पर इनमें पूरी तरह न तो शिक्षक हैं और न ही इनमे इतनी अच्छी पढ़ाई हो पा रही है कि लोग अपने बच्चों का प्रवेश इसमें करवाएं। कंप्यूटरीकृत शिक्षा और सीबीएसई शिक्षा पद्धति पर खुलते जा रहे कांवेंट स्कूलों की सफलता का भी एक बड़ा कारण है। इसी तरह डिग्री कॉलेज भी कोई नहीं है। यदि सरकारी तौर पर किसी डिग्री कॉलेज की बात करें तो एक अकेला डिग्री कॉलेज पलिया में है। इसके अलावा पूरे जिले में कहीं कोई सरकारी स्तर पर स्नातकोत्तर महाविद्यालय भी नहीं है।जिसकी कमी जिले में युवराज दत्त महाविद्यालय पूरी करता है, लेकिन यह राज परिवार के द्वारा बनवाया गया विद्यालय है न कि सरकारी जिसमें पूर्व के दिनों में होड़ लगती है।