एक लाख किसान 'ई-गन्ना' से ले रहे समाधान
हाईटेक जमाने में किसान भी स्मार्ट हो रहे हैं। गन्ना की विभाग की नवीनतम और तकनीकी सेवाओं से वे कदमताल कर रहे हैं। विभाग ने पर्ची और भुगतान से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए ई-गन्ना एप शुरू किया तो स्मार्ट किसानों ने झटपट उसकी बारीकियां सीख लीं। लखीमपुर में करीब एक लाख किसानों ने इस एप का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इससे उन्हें चीनी मिल से जुड़ी जानकारी मोबाइल पर ही मिल जा रही है बेवजह गन्ना समितियों के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ रहे हैं।
लखीमपुर : हाईटेक जमाने में किसान भी 'स्मार्ट' हो रहे हैं। गन्ना की विभाग की नवीनतम और तकनीकी सेवाओं से वे कदमताल कर रहे हैं। विभाग ने पर्ची और भुगतान से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए ई-गन्ना एप शुरू किया तो स्मार्ट किसानों ने झटपट उसकी बारीकियां सीख लीं। लखीमपुर में करीब एक लाख किसानों ने इस एप का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इससे उन्हें चीनी मिल से जुड़ी जानकारी मोबाइल पर ही मिल जा रही है, बेवजह गन्ना समितियों के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ रहे हैं।
जिले में 366619 हेक्टेयर गन्ने की खेती हो रही है। यहां किसानों की तादात करीब चार लाख है। अभी तमाम किसान इस एप की जानकारी से वंचित हैं। स्मार्ट किसानों के साथ गन्ना विभाग भी ऐसे किसानों को नई व्यवस्था का लाभ लेने के लिए जागरूक कर रहा है। जिला गन्ना अधिकारी बृजेश पटेल का कहना है कि मोबाइल एप शुरू होने से चीनी मिलों पर किसानों की किसी प्रकार की निर्भरता नहीं रहेगी, मिलों का हस्तक्षेप भी नहीं होगा। मोबाइल एप के अलावा वेब पोर्टल केनयूपी डॉट इन पर भी किसान ऑनलाइन समस्याओं का समाधान औन नई जानकारियां ले सकते हैं।
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थमी पर्ची की कालाबाजारी :
सरकार के इस कदम से गन्ना माफिया की दाल नहीं गल रही। पर्चियों की कालाबाजारी थम गई है। गन्ने की घटतौली पर भी अंकुश लगा है। जिन किसानों के पास मोबाइल नहीं है, वे अपने पड़ोसी किसानों से अपनी गन्ना पर्ची व अन्य जानकारियां हासिल कर लेते हैं।