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शुरुआती दो दिनों को छोड़ पूरे सप्ताह के लिए दुधवा हाउसफुल

लखीमपुर: दुधवा टाइगर रिजर्व का पर्यटन सत्र शुरू होने में अब केवल 24 घंटे का समय शेष है। प

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 11:06 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 11:06 PM (IST)
शुरुआती दो दिनों को छोड़ पूरे सप्ताह के लिए दुधवा हाउसफुल

लखीमपुर: दुधवा टाइगर रिजर्व का पर्यटन सत्र शुरू होने में अब केवल 24 घंटे का समय शेष है। पार्क अधिकारियों ने तैयारी पूरी कर ली है। कर्नाटक से दुधवा आए हाथियों की मौजूदगी में भव्य तरीके से दुधवा का पर्यटन सत्र शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही सैलानियों ने भी दुधवा आने की तैयारी कर ली है। ऑनलाइन बु¨कग खुल चुकी है, जिसमें शुरूआती दो दिनों के लिए दुधवा में रूम उपलब्ध हैं, हालांकि उसके बाद पूरे सप्ताह भर के लिए दुधवा अभी से ही हाउसफुल हो गया है जो दुधवा के क्रेज को बताने के लिए काफी है।

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दुधवा में स्टे के लिए कुल 14 थारू हट हैं, जिनका नामकरण यहां पाए जाने वाले पक्षियों के ऊपर किया गया है। साथ ही दस-दस बेड की दो डोरमेट्री हैं। पिछले दो वर्षों से यहां बु¨कग का तरीका बदला गया है। पहले मौके पर आकर सैलानी बु¨कग करा सकते थे, लेकिन इसे बेहतर करते हुए अब ऑनलाइन माध्यम ही एकमात्र विकल्प है। यूपी इको टूरिज्म की वेबसाइड के अलावा दुधवा नेशनल पार्क की आधिकारिक वेबसाइट का प्रयोग बु¨कग के लिए किया जा सकता है। 15 और 16 तारीख को यहां पर सात से आठ हट अभी भी बुक नहीं हुए हैं, जबकि 17 से आने वाले कुछ दिनों तक के लिए दुधवा के सभी हटों की बु¨कग की जा चुकी है। ठहरने के लिए ये है शुल्क

एक थारू हट में दो लोग रूक सकते हैं जिसके लिए तीन हजार रूपये का शुल्क देना होगा। एक व्यक्ति के लिए दो हजार रुपये निर्धारित है। वहीं दस बेड की डोरमेट्री को दस हजार रूपये अदा कर बुक किया जा सकता है। डोरमेट्री ऐसे लोगों के लिए है जो बड़े ग्रुप में दुधवा जंगल की सैर करना चाहते हैं।

दो शिफ्टों में जंगल जाएंगे सैलानी

दुधवा भ्रमण के लिए दो शिफ्ट रखी गई हैं। पहली शिफ्ट सुबह सात से पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे तक जबकि शाम को तीन बजे से सूर्यास्त तक जंगल भ्रमण पर सैलानी जा सकते हैं। अगर हाथियों से गैंडा पुनर्वास परियोजना में जाना है तो इसके लिए सुबह की शिफ्ट का प्रयोग करें, क्योंकि शाम को हाथियों को जंगल नहीं ले जाया जाएगा। इसके लिए ये देख लें कि आप को किस तरह से जंगल भ्रमण का आनंद उठाना है। कुल दो मुख्य रूट पर सैलानियों को ले जाया जाएगा। इसमें एक रूट एसडी ¨सह मार्ग होते हुए सलूकापुर तक का है, यहां से हाथी द्वारा गैंडा पुनर्वास परियोजना में ले जाए जाते हैं। जबकि दूसरा रास्ता सठियाना रेंज से होकर जाता है। दोनों ही रूट की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं।

किशनपुर सैंक्चुरी पर भी होगी नजर

दुधवा टाइगर रिजर्व का एक महत्वपूर्ण और कम चर्चित हिस्सा किशनपुर सेंचुरी है। यह अपने आप में दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों का घर है। यहां के प्रसिद्ध झादी ताल में तो सैकडों की तादात में विदेशी पक्षियों का मेला सा लगता है। साथ ही यहां एक साथ सैकड़ों बारह¨सघा भी नजर आते हैं जो देखने में बेहद आकर्षक होता है। दुधवा पर जब सैलानियों का दबाव बढ जाता है तो किशनपुर ही उनकी पहली पसंद होती है क्योंकि यहां पर टाइगर के दीदार होने की सम्भावना अधिक रहती है।


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