तटबंध भी कट गया, पैसा भी बह गया, बात बराबर
लखीमपुर : अगर सरकारी धन को नदी में बहाने का ²श्य देखना हो तो ईसानगर के गांव साहबदीनपुरव
लखीमपुर : अगर सरकारी धन को नदी में बहाने का ²श्य देखना हो तो ईसानगर के गांव साहबदीनपुरवा चले आइए। यहां करीब एक दर्जन ठेकेदारों की फौज तटबंध को बचाने के नाम पर सरकारी पैसा नदी में बहाए जा रही है। इतना की नहीं पैसे की बर्बादी व बचत का जुगाड़ ऐसा कि आप दांतों तले अंगुलियां दबाने पर मजबूर हो जाएंगे।
यहां बात हो रही है ¨सचाई विभाग द्वारा साहबदीनपुरवा के पास बाढ़ रोकने के लिए करीब दस साल पहले बने तटबंध को बचाने की कवायद की। पांच से छह सौ मजदूर बोरियां भरने में व्यस्त दिखाई पड़ रहे हैं, लेकिन भरी गई बोरियों में मिट्टी आधी से ज्यादा खाली है। बांस से बंबू कैरेट में एक तरफ बोरियों से भरकर मिट्टी डाली जा रही है, दूसरी तरफ नदी की धारा उसे चंद मिनटों में बहा ले जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस बंधे को बचाने के लिए विभाग पसीना बहा रहा है, मिट्टी भी उसी बंधे से काट कर बोरियों में भरी जा रही है। सरकारी मशीनरी व ठेकेदारों की जुगल बंदी ने तटबंध को पहले से काट डाला था, बचा तटबंध नदी ने साफ कर गांव में कटान शुरू कर दिया है। ऐसा नहीं है कि मौके पर इसकी जानकारी किसी को नहीं है, बाकायदा सिचाई विभाग के अधिकारी मौके पर कैंप कर रहे, लेकिन ठेकेदारो की इस बंधे के काटने की हरकत को नजरअंदाज कर पैसे की बंदर बांट मे जुटे हैं। ग्रामीणों को कहना है कि घाघरा नदी भले बचा देती बंधे को, लेकिन ठेकेदार तो पूरा बंधा काट कर नदी में डाल रहे हैं।