ब्लॉक में खड़े हरे-भरे पेड़ों के कटान को लेकर जनमानस असमंजस में
दमी को विभागीय प्रक्रिया पूरी करने में एड़ियां घिसनी पड़ती हैं लेकिन ब्लाक परिसर में सरकारी व्यवस्था के नाम पर वन महकमा क्लीन चिट देकर हरे भरे पेड़ों के भी कटने में पूर्ण रूप से सहमति दे रहा है। तहसील के ब्लाक मुख्यालय पर दर्जनों हरे भरे पेड़ों पर परमिट के आधार पर पेड़ों का कटान किया जा रहा है।
लखीमपुर: अनुमति के बाद प्रतिबंधित प्रजाति के हरे भरे पेड़ों का कटान भी कराया जा सकता है। वन महकमे की इस अनुकंपा के बाद तहसील गोला के ब्लाक परिसर में खड़े दो दर्जन से अधिक हरे भरे पेड़ों का कटान किया जा रहा है। वहीं महज अपनी जरुरत के लिए लगवाए गए एक भी प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़ को कटवाने के लिए आम आदमी को विभागीय प्रक्रिया पूरी करने में एड़ियां घिसनी पड़ती हैं, लेकिन ब्लाक परिसर में सरकारी व्यवस्था के नाम पर वन महकमा क्लीन चिट देकर हरे भरे पेड़ों के भी कटने में पूर्ण रूप से सहमति दे रहा है। तहसील के ब्लाक मुख्यालय पर दर्जनों हरे भरे पेड़ों पर परमिट के आधार पर पेड़ों का कटान किया जा रहा है। जिसमें बीस लिपटिस, दो कदंब, तीन सागौन, तीन सेमल, एक शीशम, दो जामुन के पेड़ों को काट दिया गया। ब्लाक परिसर में हरे भरे पेड़ों के कटान को लेकर जनमानस में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जिसे लेकर जागरण टीम ने मौके पर पहुंचकर मामले की पड़ताल की। जिसमें पता चला कि ब्लाक की ओर से कुल 31 पेड़ों के कटान का परमिट बनवाया गया था। वहीं सवाल उठता है कि प्रतिबंधित प्रजाति सहित हरे भरे पेड़ों के कटान महज इसलिए कटाया जा रहा है कि ब्लाक परिसर में आवासीय व्यवस्था होने व पेड़ों का आवासों पर गिरने का भय अधिकारियों को सता रहा था। मौके पर मिले अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी ज्ञान प्रकाश त्यागी ने बताया कि 31 पेड़ों का परमिट बनवाकर पेड़ों का कटान कराया जा रहा है। बीडीओ देवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि ब्लाक परिसर में खड़े पेड़ों के कटान के लिए नीलामी सहित वन विभाग से अनुमति की संपूर्ण प्रक्रिया पूरी किए जाने के बाद पेड़ों का कटान कराया गया है। चूंकि ब्लाक परिसर में खड़े पेड़ विशाल आकार ले चुके थे तथा परिसर में बने आवासों पर गिरने का खतरा था।
जिम्मेदार की सुनिए
वनक्षेत्राधिकारी बनारसीदास ने बताया कि अनुमति लेकर प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़ों का भी कटान कराया जा सकता है। ब्लाक में काटे जा रहे पेड़ों की विधिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद पेड़ों का कटान कराया जा रहा है।