लाल निशान पार शारदा-घाघरा, सिहर उठी तराई
धौरहरा (लखीमपुर): तराई में शारदा और घाघरा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी ह
धौरहरा (लखीमपुर): तराई में शारदा और घाघरा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी हैं। इसी के साथ रमियाबेहड़, धौरहरा और ईसानगर ब्लाक के करीब दर्जन भर गांव के लोगों की धड़कनें तेज हैं। लोग हर साल नदियों से होने वाली तबाही को याद कर सिहरते हुए इस साल आने वाली मुसीबत से मुकाबले के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।
वैसे तो प्रशासन भी खुद को इसके लिए तैयार बता रहा है, लेकिन इलाके के लोगों को पता है कि अफसर कैसे तैयार होते हैं। असलियत यह है कि हर साल नदियों का कहर झेल रहे लोगों को प्रशासन की तैयारियों पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है। इसलिए अभी से कटान की जद में आने वाले गांवों में लोगों ने आपातकाल के लिए ठिकाना तलाशना शुरू कर दिया है।
यह गांव फिर होंगे नदियों के निशाने पर
ईसानगर ब्लाक का भदईपुरवा, सरैया, बेलागढ़ी, हटवा, सधुवापुर, मिर्जापुरवा, रुद्रपुर, और हुलासपुरवा पिछले साल घाघरा नदी के निशाने पर थे। इन गांवों में नदी ने भारी नुकसान भी किया था। इस बार कटान शुरू हुआ तो यही गांव साफ होंगे। धौरहरा ब्लाक का चहमलपुर, खगियापुर, रैनी, समदहा और चिकनाजती गांव बिल्कुल शारदा नदी की धार पर टिके हैं। बीते साल यहां कटान कम हुआ था, लेकिन शारदा तटबंध में छोड़े गए गैप और उनकी वजह से बन गए लूप और कांक्लेव बैंक के चलते इस बार नदी के गांव की तरफ रुख करने की पूरी उम्मीद है। रमियाबेहड़ ब्लाक में सुजानपुर का लालापुर गांव इस बार भी खतरे के मुंह में है। बीते साल यहां घाघरा ने काफी कटान किया था। गांव बचाने के लिए यहां बनाया गया तटबंध अब तक अधूरा है।
सर्वे लाइन खाकर नदी का रुख बदल गए बंधे के गैप
शारदा तटबंध बनाते समय इसमें करीब आधा दर्जन जगहों पर गैप छोड़ दिए गए थे। सूत्रों की मानें तो ऐसा क्षेत्र के कुछ वीआइपी की जमीनें बचाने के लिए दबाव में किया गया था। तटबंध का काम खत्म होने के बाद यह गैप फिर भरे नहीं गए। अंजाम यह हुआ कि शारदा नदी खगियापुर और चहमलपुर के पास छूटे गैप में घुसकर मुड़ गई और यहां पर लूप बना लिया है। इस लूप की वजह से नदी का कांक्लेव बैंक गांवों की तरफ बना है। इसी तरह के गैप से नदी ऐरा के बाद खड़वामीतमऊ में घुसी है। फिलहाल नद अपने दाहिने किनारे पर झुककर बहने के कारण चहमलपुर, रैनी, समदहा, चिकनाजती और खगियापुर में कटान पिछली बार कम हुआ था। लेकिन रास्ता बदलने की आदी मानी जाने वाली शारदा नदी में पानी बढ़ने के बाद इस बार बाएं किनारे पर झुकने की उम्मीद बनी है। कांक्लेव बैंक बाईं तरफ बनने के कारण कटान इधर ही होगा और ऐसे में इन गांवों की तबाही तय है।
स्थाई समाधान के लिए कर रहे अध्ययन
राज्य स्तरीय ¨सचाई बंधु समिति के उपाध्यक्ष आशुतोष तिवारी बताते हैं कि उन्होंने खीरी और पीलीभीत जिले में नदी और कटान क्षेत्रों का अध्ययन किया है। बीते दिनों शारदा बैराज पर इसी समस्या को देखने आए ¨सचाई मंत्री के सामने भी उन्होंने स्थाई समाधान के कई सुझाव रखे हैं। इसके बाद उन्हें शासन से इस मुद्दे पर विस्तार से रिपोर्ट देने को कहा गया है। तिवारी इसके बाद कटान क्षेत्रों का निरीक्षण करने और रिपोर्ट बनाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि तटबंध में छूटे गैप ने तटबंध की पूरी योजना पर पानी फेर दिया है। नदी ने सर्वे लाइन बिगाड़ दी है जो फिर से बनानी होगी। इसी के साथ पहले से बना तटबंध भी कई जगह अनुपयुक्त हो जाएगा। लेकिन तटबंध को सुधारे बिना गांवों को नदी की कटान से बचाने का कोई रास्ता नहीं दिखता। ¨सचाई बंधु की अगली बैठक में वह विस्तार से अपने सुझाव शासन को देंगे।