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शौचालय की आस अधूरी, अब तो खेतों में जाना है मजबूरी

जरों की इस ग्राम सभा में आधे से अधिक परिवारों को शौचालय का लाभ नहीं मिला है। ग्राम सभा के मजरा शिवपुर के रामभूखन ललई अब्दुल खालिक मो. उमर जहीर फटकरी लालता रैदास टोर्री सहित दर्जनों परिवार आज भी शौच के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 10:40 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 06:10 AM (IST)
शौचालय की आस अधूरी, अब तो खेतों में जाना है मजबूरी

लखीमपुर: आधे-अधूरे शौचालय व शौचालय से वंचित सैकड़ों परिवारों की मुश्किलें स्वच्छ भारत ग्रामीण मिशन की हवा निकाल रहे हैं। योजना की जमीनी हकीकत से जानने को 'जागरण' ने शुक्रवार को ग्रामसभा ईसानगर की पड़ताल की। इस गांव में बहू-बेटियों की खुले में शौच करने की मजबूरी देखने को मिली है। गांव में बने शौचालयों में कहीं दरवाजे, तो कहीं सीट एवं छत ही नहीं लगी है। स्वच्छता के संदेश को भूल ग्रामीणों ने इसे कूड़ाघर बना दिया। इससे ये शौचालय अनुपयोगी बनकर रह गए हैं। 10,000 आबादी वाली ईसानगर ग्रामसभा में स्वच्छता मिशन के मायने बेमानी से हैं। शौचालय के प्रयोग के बारे में ग्रामीण महिलाओं एवं पुरुषों को जागरूक करने को कोई नहीं पहुंचा। इतना ही नहीं आठ मजरों की इस ग्रामसभा में आधे से अधिक परिवारों को शौचालय का लाभ ही नहीं मिला है। ग्रामसभा के मजरा शिवपुर के रामभूखन, ललई, अब्दुल खालिक, मो. उमर, जहीर, फटकरी, लालता रैदास, टोर्री सहित दर्जनों परिवार आज भी शौच के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं। इन लोगों का कहना है कि इनके साथ सरकारी नुमाइंदों ने बेइमानी की है। अब बता रहे हैं कि योजना खत्म हो गई है। इसी प्रकार नरगड़ा, रमपुरवा, बालूपुरवा, मक्कापुरवा, दुबेपुरवा आदि मजरों में कई परिवारों को शौचालय नहीं मिला है। पूरी ग्रामसभा में 10-12 शौचालय में कोई बिना दरवाजे के तो कोई बिना छत के मिला। दीवार कमजोर होने के चलते कुछ शौचालय बनने के बाद ढह भी गए। जिम्मेदार की सुनिए एडीओ पंचायत प्रमोद कुमार ने बताया कि ग्रामसभा ओडीएफ घोषित कर दी गई है। बेस लाइन पर काम चल रहा है। आधे-अधूरे शौचालयों के बारे में जानकारी नहीं है, जांच कराई जाएगी। जागरूकता के लिए समय-समय पर लोगों बताया जाता है।

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