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बाघ मित्रों को खतरे से निपटने के गुर सिखाए

संवादसूत्र ममरी (लखीमपुर) मानव-बाघ संघर्ष रोकने के लिए आधुनिक वन प्रबंधन की पहली कड़ी में बाघ मित्रों को प्रशिक्षित कर पारंगत बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 10:25 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 10:25 PM (IST)
बाघ मित्रों को खतरे से निपटने के गुर सिखाए
बाघ मित्रों को खतरे से निपटने के गुर सिखाए

लखीमपुर: मानव-बाघ संघर्ष रोकने के लिए आधुनिक वन प्रबंधन की पहली कड़ी में बाघ मित्रों को प्रशिक्षित कर पारंगत बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। बाघ मित्रों की भूमिका महत्वपूर्ण को अहम बताते हुए डीएफओ समीर कुमार ने कहा कि इससे बड़ा बदलाव आने वाला है।

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मंगलवार को हुए प्रशिक्षण में 56 बाघ मित्रों को डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के को-आर्डिनेटर मुदित गुप्ता, परियोजना अधिकारी दबीर हसन ने बाघ मित्रों को खतरे से निपटने के भी गुर सिखाए। साथ ही उन्हें पगचिन्हों से बाघ, तेंदुआ आदि वन्यजीवों की पहचान करने, उनके स्वभाव को परखने, किसी वन्यजीव की मौजूदगी होने पर ग्रामीणों को संयमित करने व मौजूदगी की सूचना कंट्रोल रूम को देने की जानकारी दी गई। को-आर्डिनेटर मुदित गुप्ता ने वन्यजीवों से सामंजस्य स्थापित करने की जानकारी ग्रामीणों में शेयर करने की सलाह भी दी। खेतों में काम करने के लिए ग्रामीणों को समूह में जाने, हांका लगाने, सुबह-शाम खेतों की तरफ न जाने की सलाह को प्रचारित व प्रसारित करने के बारे में बताया। एसडीओ रविशंकर शुक्ला ने कहा कि महेशपुर रेंज के लिए किए जा रहे प्रयासों से मानव-बाघ सहजीवन की दिशा में प्रबंधन और मजबूत होगा। इस दौरान रामनरेश वर्मा, श्याम किशोर शुक्ला, राजेश कुमार आदि मौजूद रहे।


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