देवोत्थानी एकादशी दैवी शक्तियों के जागरण की पावन बेला
लखीमपुर : देवोत्थानी एकादशी की पूर्व संध्या पर आयोजित गोष्ठी में लखीमपुर जिले के विभाग प्रमुख र
लखीमपुर : देवोत्थानी एकादशी की पूर्व संध्या पर आयोजित गोष्ठी में लखीमपुर जिले के विभाग प्रमुख राजेश दीक्षित ने कहा कि सनातन भारतीय चेतना एवं कालजयी संस्कृति में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी एवं कालजयी संस्कृति में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि देवोत्थानी एकादशी के नाम से विख्यात है। माना जाता है कि संपूर्ण सृष्टि के पालनकर्ता, निखिल ब्रह्मांड नायक भगवान विष्णु जो आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादाशी, यानी हिरशयनी एकादशी से योगनिद्रा में सो जाते हैं, पूरे चार माह बाद इसीदिन अपनी योगनिद्रा पूरी करके जागते हैं। यह देवी शक्तियों के जागरण की एक पावन बेला है। जो हमारे अंदर सद्बुद्धि, सद्विचार, सद्पेरण एवं सुसंस्कार जगाती है। यह पर्व हमें पने जीवन में निरंतर सद्वृत्तियों से जुड़ने, सन्मार्ग के पथ पर अग्रसित होने के लिए प्रेरित करता है। हम अपने जीवन में सात्विक शक्तियों की सक्रियता को बढ़ाएं। एक नई चेतना, एक नई ऊर्जा एवं उत्साह से हम अपने जीवन पथ पर अग्रसित हों। इस अवसर पर गाय के गोबर से लीपी, पीठे से रची चौक पर नए तैयार गन्ने की पूजा होती है। जो हमारी सर्वशक्तिमान, परमपिता परमात्मा के प्रति कृतज्ञता एवं आभार का परिचायक है।