फिर आए नेपाली हाथी, मैलानी रेंज में फसल की नष्ट
लखीमपुर: बारिश का मौसम के अंतिम चरण में एक बार फिर नेपाली हाथियों के झुंड ने जंगल से बाहर दस्तक दे दी है। रात में हाथियों ने किशनपुर सेंचुरी से सटे मैलानी रेंज में धान और गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाया है।
हाथियों की गतिविधियों पर नजर रख रहे सेंचुरी कर्मियों ने आसपास के गांवों में सूचना दे दी थी कि हाथी खेतों में नुकसान पहुंचा सकते हैं, उसी रात हाथियों ने कई किसानों के खेतों में घुसकर लगभग पांच एकड़ की फसल को नुकसान पहुंचाया। सुबह जब ग्रामीण खेतों पर गए तो उन्हें फसल रौंदी मिली। वन क्षेत्राधिकारी साजिद हसन ने फसलों के नुकसान का जायजा लेने के बाद इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी है। वन विभाग ने कुकरा, बांकेगंज, सुआबोझ, किशनपुर सेंचुरी वन क्षेत्र से सटे गांवों के ग्रामीणों को नेपाली हाथियों की गतिविधियों की सूचना देने को कहा है। जंगली हाथी अक्सर भोजन के लिए रात में गन्ने के खेतों में आते हैं और फसल खाकर फिर जंगल में लौट जाते हैं। वन क्षेत्राधिकारी मैलानी ने बताया कि हाथियों झुंड पर नजर रखी जा रही है।
हाथियों के संभावित आगमन के मद्देनजर महेशपुर में सतर्कता
मैलानी इलाके में उत्पात मचाकर मौजूदगी दर्ज कराने वाले हाथियों के झुंड के संभावित आगमन के मद्देनजर महेशपुर का स्टाफ एहतियातन अलर्ट हो गया है। मसलन हाथी मैलानी की तरफ से खुटार हाईवे को क्रास कर भरिगवा बीट के रास्ते महेशपुर की शहजनिया बीट जंगल में कठिना नदी पर बने चौरा पुल के पास से प्रवेश करते हैं। जिसके लिए यहां के वन कर्मियों ने बार्डर के लोगों को अलर्ट कर दिया है।
दरअसल पिछले वर्ष डेढ़ दर्जन हाथियों के झुंड ने यहां प्रवेश लिया था। जिसके बाद करीब एक सप्ताह तक यहां रुककर हाथियों ने तबाही मचाकर नुकसान पहुंचाया था। तब वन विभाग ने ग्रामीणों के सहयोग से मशाल जलाकर कर, भूसे का धुआं कर व ड्रम आदि बजाकर दो दो हाथ कर हाथियों से मोर्चा लिया था। दरअसल नेपाल से सटे दुधवा इलाके के जंगलों से निकला हाथियों का झुंड मैलानी बांकेगंज आ पहुंचा है। करीब तीन साल पहले आए हाथियों ने शहजनिया बीट जंगल के मुकुंदा पर इलाके में दो दिन प्रवास कर क्षेत्र में तांडव मचाया था। जिसमें कई किसानों की धान गन्ना की फसलों को रौंद डाला था। वन दारोगा जगदीश वर्मा ने बताया कि हाथियों के आने की संभावना के मद्देनजर एहतियातन बार्डर के गांवों के ग्रामीणों को सतर्क कर दिया गया है। बताया कि ग्रामीण जंगल में न जाएं, मचानों पर न रुकें, खेतों में भी जाने से बचें।