हकीकत से कोसों दूर है पायका योजना
लखीमपुर : ग्रामीण क्षेत्र के युवकों को खेल प्रतिभा में रुचि पैदा करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा यु
लखीमपुर : ग्रामीण क्षेत्र के युवकों को खेल प्रतिभा में रुचि पैदा करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा युवा कल्याण विभाग भारत सरकार के अंतर्गत पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल अभियान पायका योजना जमीनी हकीकत से कोसों दूर नजर आ रही है।
सरकार द्वारा ग्रामसभा वार प्रतिभाओं को निखारने के लिए योजना के तहत हजारों रुपये की लागत से मंगाई गई। खेलकूद सामग्री प्रधानों के घर की शोभा बढ़ा रही है। वहीं ग्राम सभाओं मे बनाए गए पायका केंद्र न तो अभी तक खुल सके हैं और नहीं गांव के प्रतिभावान खिलाड़ियों को पाइका जैसी कोई सरकार की योजना का संचालन पता है। खेल तो दूर की बात है, मजे की बात है कि ग्राम पंचायत द्वारा प्रधानों की मनमानी के चलते बनाए गए। क्रीड़ाश्री को किसी खेल के बारे में जानकारी है।
विकास खंड ईसानगर के ईसानगर, रायपुर, बरारी, मूड़ी बीर¨सहपुर सहित करीब एक दर्जन पायका केंद्र खोले गये हैं, लेकिन इन केंद्रों पर न तो को खेल सिखाने वाला और नहीं कोई खिलाड़ी अभी तक देखा गया है। हजारों रुपये की लागत में सिर्फ पायका का बोर्ड व पोल गाड़ कर इतिश्री कर ली गयी है। इतना ही नहीं पायका के इन मैदानों में खेती की जाती है। इस समस्या को लेकर क्षेत्र के खिलाड़ियों ने कई बार अधिकारियों से निदान कर खिलाड़ियो को उनकी प्रतिभा निखारने को मौका देने की मांग की गई है, लेकिन कोई लाभ नहीं मिल सका है। गांवों में युवा खेल खेलने के लिए मैदान ढूंढे नहीं मिल रहे है। गांव के युवा संदीप, निजामु, कमलेश, दीनदयाल, रमेश तीरथ, राकेश को यह भी पता नहीं है कि उनका क्रीड़ाश्री कौन है और खेल का मैदान कहां है। खंड विकास अधिकारी रामसमुझ ने बताया कि ईसानगर का सिर्फ चार्ज उनके पास है। खेल के मैदान कहां-कहां है यह जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि ईसानगर के केंद्रों के बारे में जानकारी नहीं है।