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..और पूरी हुई न्याय की यात्रा

सात साल से अधिक समय के इंतजार के बाद आखिरकार निर्भया को इंसाफ मिल गया। दोषियों को शुक्रवार सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। फांसी दिए जाने को हर कोई ऐतिहासिक बता रहा। महिलाओं ने इसे गरिमा और सुरक्षा की जीत बताया है। आइए जानते हैं फांसी पर किसने क्या कहा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 11:49 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 11:49 PM (IST)
..और पूरी हुई न्याय की यात्रा

कुशीनगर : सात साल से अधिक समय के इंतजार के बाद आखिरकार निर्भया को इंसाफ मिल गया। दोषियों को शुक्रवार सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। फांसी दिए जाने को हर कोई ऐतिहासिक बता रहा। महिलाओं ने इसे गरिमा और सुरक्षा की जीत बताया है। आइए जानते हैं फांसी पर किसने क्या कहा।

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-वरिष्ठ अधिवक्ता अभयानंद मिश्र ने कहा कि न्याय में देर है, पर अंधेर नहीं। यह बात एक बार फिर साबित हो गई। चर्चित यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर था, जिसमें फांसी ही होनी थी। देश का कानून सख्त है।

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-वरिष्ठ अधिवक्ता खान सफीउल्लाह कहते हैं कि निर्भया को इंसाफ मिलने में सात साल से अधिक का समय लग गया। ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए अलग कोर्ट का गठन तो किया गया पर जजों की कमी इसे प्रभावित कर रही है।

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-जिला शासकीय अधिवक्ता जीपी यादव ने कहा कि फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे। उम्मीद व विश्वास है कि अपराधियों में इससे भय का माहौल बनेगा और यौन अपराध के मामलों में कमी आएगी।

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अधिवक्ता निरंजन शुक्ल ने कहा कि भारतीय न्यायिक व्यवस्था में आज का दिन सबसे बड़ा है। इस घटना ने देशवासियों को झकझोर कर रख दिया था। देश का हर नागरिक इस फैसले के इंतजार में था।

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-सामाजिक कार्यकर्ता रमा खेतान ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। देश भर की महिलाओं में खुशी का माहौल है। निर्भया कभी लौटकर वापस नहीं आ सकती पर इस फैसले से उसकी आत्मा को सुकून जरूर मिलेगा।

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-डा.सुनीता पांडेय ने कहा कि आज खुशी का दिन है। निर्भया के दोषियों को सुबह फांसी देने से देश भर में महिलाएं खुशी मना रहीं हैं। कानून गलत करने वालों को कभी छोड़ेगा नहीं एक बार फिर साबित हो गया।

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-डा. यशा मिश्रा ने इसे महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा की जीत बताया। कहा कि इससे लोगों में कानून का भय होगा। फैसला यह संदेश है कि अगर कोई अपराध करेगा तो एक दिन कानून उसे दंड जरूर देगा।

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-प्रधानाचार्य अलका पनवालिया कहती हैं कि न्याय की यात्रा अब जाकर पूरी हुई। फैसले से महिलाओं के मान-सम्मान की जीत हुई है। देश भर में अब ऐसे अपराधी बच न सकेंगे।

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-सामाजिक कार्यकर्ता दीप नारायण अग्रवाल ने कहा कि आज खुशी का दिन है। न्याय मिला है। फांसी में देरी होने से लोगों में एक प्रकार का असंतोष था। निर्भया के दोषियों को फांसी होने से अपराधियों का मनोबल गिरेगा।

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-सीबी सिंह कहते हैं कि फांसी की सजा और पहले हो जानी चाहिए थी। न्याय के लिए बेटी के परिजनों को लंबा इंतजार करना पड़ा। इस बीच उन्हें किन-किन मुश्किलों से गुजरना पड़ा होगा, यह विचारणीय है।

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इंसेट

कुशीनगर की बेटी को अभी इंसाफ का इंतजार

- दिल्ली की निर्भया के दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद कुशीनगर की बेटी के परिजनों में इस बात की उम्मीद बढ़ गई है कि जल्द ही उन्हें न्याय मिलेगा और गुनहगार की फांसी होगी। सात साल की बेटी के साथ हुई दरिदगी को याद कर परिजन आज भी सिहर उठते हैं।

13 मई 2015 को दोपहर कसया थाना क्षेत्र के एक गांव की सात वर्षीय बेटी घर से थोड़ी ही दूर स्थित एक बागीचे में लीची बीनने गई थी। काफी देर बाद भी जब वह घर नहीं लौटी तो परिजन चितित हो उठे। पिता की तहरीर पर गुमशुदगी दर्ज कर पुलिस बच्ची की तलाश में जुट गई। तीसरे दिन 15 मई को गांव से दूर झाड़ियों के बीच खून से सनी बच्ची का शव बरामद हुआ। पुलिस की जांच में गांव के ही युवक पप्पू की भूमिका संदिग्ध मिली। हिरासत में ले पुलिस ने जब कड़ाई से पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। पुलिस को बताया कि दुष्कर्म के बाद उसने बच्ची की हत्या कर दी। कोई जान न पाए, इसलिए शव को झाड़ियों के बीच फेंक दिया। पुलिस ने हत्या, दुष्कर्म व साक्ष्य मिटाने की धाराओं में केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट में भी बच्ची से दुष्कर्म की पुष्टि हुई। आठ दिसंबर 2016 को जिला एवं सत्र न्यायालय ने आरोपित पप्पू को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। छह अक्टूबर 2017 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने भी निचली अदालत की सजा पर मुहर लगाते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा । बचाव पक्ष की तरफ से फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई। देश के शीर्ष न्यायालय में नौ सितंबर 2019 को इसमें आखिरी बार सुनवाई हुई, तबसे यह मामला लंबित है।


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