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कोरोना काल में थीं दिक्कतें, कारोबार के उबरने में लगा समय

कुशीनगर धैर्य और साहस यह दो ऐसी चीजे हैं जो कठिन से कठिन परिस्थितियों से पार

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 12:30 AM (IST)
कोरोना काल में थीं दिक्कतें, कारोबार के उबरने में लगा समय

पडरौना, कुशीनगर: धैर्य और साहस, यह दो ऐसी चीजें हैं जो कठिन से कठिन परिस्थितियों से पार करा देती हैं। खासकर दुकानदारी में तो यह और भी जरूरी है, क्योंकि कभी दुकान एक बराबर नहीं चलती। यह कभी घाटे तो कभी मुनाफे का व्यापार है। इस वर्ष तो कोरोना संक्रमण ने समूची अर्थ व्यवस्था को फेल कर दिया। आवागमन में संसाधन बंद हो गए, ट्रांसपोर्ट से लेकर हर एक चीज बंद हो गया, लेकिन धैर्य, साहस व ग्राहकों के विश्वास से ही कारोबार को आगे बढ़ा सके।

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यह कहना है नगर के कठकुइयां चौक के निकट आदित्य फैमिली ब्यूटी पार्लर एवं सलून की संचालिका सुमित्रा देवी का। वह बताती हैं कि वर्ष 2012 में पति अजीत कुमार शर्मा सलून चलाते थे, लेकिन उनके सहयोग से ही इसे वर्ष 2018 में सलून खोला, जहां लड़कियों के साथ महिलाओं के मेकअप की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया गया। दो वर्ष तक कारोबार ठीक चला, लेकिन पूरे विश्व में जब कोरोना चरम पर था तो हर कोई अपने को घरों में कैद कर लिया था। कहीं कोई आ जा नहीं रहा था। चार माह तक कारोबार पूरी तरह प्रभावित रहा। दुकान का किराया निकालना मुश्किल हो रहा था। इसलिए एक-दो को रोक अन्य कर्मचारियों को भी छुट्टी दे दी गई थी, लेकिन उनसे यह वादा कर रखा गया था कि स्थिति में सुधार होते ही काम पर वापस ले लिया जाएगा। पुराने ग्राहक जिनके पास नंबर थे वह इस कठिन वक्त में काम आए। वह फोन कर समय लेते और घर पर आ जाते और पैसा देते। शारीरिक दूरी और सफाई का पूरा ध्यान दिया जाता रहा। तमाम लोगों को घरों में बर्थडे से लेकर छोटे-छोटे आयोजन होते रहे, वहां उनकी मांग पर एक-दो स्टाफ को भेजकर मेकअप कराया गया, बाल की कटिग कराई गई। वाट्सएप पर बना ग्राहकों का ग्रुप इस कोरोना काल में काम आया। मेकअप किस रेंज में होगा, इसे भी वाट्सएप व फोन के जरिये बताया गया। ग्राहकों को पेमेंट के लिए डिजिटल की सुविधा दी गयी। थोड़ा-बहुत काम चलते रहने से इससे घर का खर्चा निकल जाता था, लेकिन दुकान और कर्मचारियों की चिता सताए जा रही थी। कोरोना संक्रमण कम होने पर दुकानों को खोलने की छूट भी मिली तो सलून को इससे वंचित रखा गया। सबसे अंत में इन्हीं दुकानों को खोलने की इजाजत मिली। चार माह से दुकान बंद होने के कारण दर्पण से लेकर अन्य सामान धूल से पट गए थे। पहले तो उन्हें पूरी तरह साफ कराने के बाद सैनिटाइजेशन कराया। काफी सामान बर्बाद हो चुके थे, उन्हें फेंकना पड़ा। वाट्सएप पर उन्हें भी कंपनियों के आफर और मिलते रहे। इसलिए सहूलियत हुई वाट्सएप के जरिये ही सामान बुक कर दिल्ली, लखनऊ और अन्य जगह से मंगाए गए और अब भी ऐसा ही किया जा रहा है। सलून खुलने के बाद भी लोगों की संख्या कोरोना काल के पहले की अपेक्षाकृत काफी कम रही। दुकानों पर ग्राहकों का आना-जाना ठीक-ठाक है। लोग भी डिजिटल भुगतान करने में आगे हैं। कहते हैं कि पुरुष अथवा महिला सैलून में ग्राहकों के लिए शासन की गाइडलाइन का पालन कराते हुए उन्हें सुविधाएं दी जा रही हैं।

संकट की इस घड़ी में उन्हें इसी रिश्ते व भरोसे की ताकत मिली और कारोबारी बदलावों की मदद से वे आपदा से बाहर निकले। अभी कोरोना संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, इसलिए सतर्कता को देखते हुए सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 50 फीसद से कर्मचारी ही बुलाए गए हैं। पार्लर में आने वालों के लिए स्वच्छता का पूरा ध्यान दिया जा रहा है, उनके सभी सामान अलग होते हैं। यह पूरा प्रयास रहता है कि ग्राहक पूरी तरह संतुष्ट रहे। कर्मचारियों को भी यही सिखाया जाता है। ग्राहक की संतुष्टि पर कोई कारोबार निर्भर करता है। अब शादी-विवाह का समय आ रहा है, बुकिग शुरू हो चुकी है, कई डेट तो बुक हो चुके हैं। घरों पर भी लोग मेकअप के लिए बड़ी संख्या में लोग बुलाने लगे हैं। कर्मचारी भी वापस आ रहे हैं। उम्मीद है कि कारोबार अब पुरानी तरह अपने ढर्रे पर आ जाएगा।


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