Move to Jagran APP

बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर ही गुमनाम उनके अंतिम शिष्य (रविवार विशेष)

पूरी दुनिया में शांति, अ¨हसा का संदेश देने वाली भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर पर उनके ही अंतिम शिष्य गुमनाम हैं। आने वाले देसी-विदेशी सैलानी यह तो जानते हैं कि यहीं पर अपने अंतिम समय में बुद्ध ने अपने अंतिम शिष्य सुभद्र को उपदेश दिया था, लेकिन वह स्थल नहीं जानते जहां सुभ्रद्र की निशानी है और उनका समाधि स्थल है

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 11:53 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 11:53 PM (IST)
बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर ही गुमनाम उनके अंतिम शिष्य (रविवार विशेष)

कुशीनगर : पूरी दुनिया में शांति, अ¨हसा का संदेश देने वाली भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर पर उनके ही अंतिम शिष्य गुमनाम हैं। आने वाले देसी-विदेशी सैलानी यह तो जानते हैं कि यहीं पर अपने अंतिम समय में बुद्ध ने अपने अंतिम शिष्य सुभद्र को उपदेश दिया था, लेकिन वह स्थल नहीं जानते जहां सुभ्रद्र की निशानी है और उनका समाधि स्थल है। महापरिनिर्वाण मंदिर के पीछे उनके इस स्थान पर बना स्तूप तो है, लेकिन प्रचार-प्रसार व संरक्षण के अभाव में वह पूरी तरह से गुमनाम है। ऐसे में बुद्ध के अंतिम शिष्य के इस स्थल का दीदार किए बिना ही सैलानी लौट जाते हैं। भगवान बुद्ध के इतिहास की पूर्णता की बात, बिना इसके नहीं की जा सकती। महापरिनिर्वाण मंदिर के ठीक दक्षिण बुद्ध के अंतिम शिष्य का स्तूप पूरी तरह से उपेक्षा का शिकार है। प्रत्येक स्थल का विकास किया गया, लेकिन कभी बुद्ध के इतिहास से जुड़े इस महत्वपूर्ण स्थल की ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। बुद्ध के अंतिम शिष्य का यह स्थल अपने गुरु के महापरिनिर्वाण स्थल के ठीक बगल में है, लेकिन अपनी पहचान को तरसता हुआ और मिटते वजूद को बचाने के लिए रोता हुआ।

loksabha election banner

---

यह है इतिहास

-आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध ने कुशीनगर में अपने परिनिर्वाण की घोषणा वैशाली में की थी। यहां उनके परिनिर्वाण के अनेक कारणों में एक कारण कुशीनगर में 120 वर्षीय परिव्राजक सुभद्र को धम्म की दीक्षा भी देना था। 80 वर्ष की उम्र में जब बुद्ध कुशीनगर पहुंचे तो सुभ्रद भी उनसे मिलने आए। भिक्षु आनंद ने मिलने की अनुमति नहीं दी। यह बात जब बुद्ध को मिली तो बोले कि उन्हें रोका न जाए। वे बुद्ध के पास पहुंचे और धम्म पर चर्चा के बाद अंतिम शिष्य के रूप में दीक्षित हुए। उनके निर्वाण के बाद उनकी भी समाधि जिसे स्तूप कहा जाता है, का निर्माण हुआ।

------

पर्यटकों के लिए बनाया जाएगा आकर्षण का केंद्र: ई.पंकज

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, कुशीनगर के वरिष्ठ सर्वेक्षण अधिकारी ई. पंकज तिवारी ने कहा कि सुभद्र के स्तूप को संरक्षित करने के साथ ही उसे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा। यह महत्वपूर्ण स्थल है, इसको विकसित किया जाना जरूरी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.